Book Title: Mahavira Chitra Shataka Author(s): Kamalkumar Shastri, Fulchand Publisher: Bhikamsen Ratanlal Jain View full book textPage 7
________________ महामंगलमय महावीर सिद्धिप्रदं महावीर, ससारार्णवपारग । सन्मति शिरसावन्दे, नित्यं सन्मतिसिद्धये ॥ वीर सर्व सुरासुरेन्द्र महितो वीर बुधा. संश्रिताः । वीरेणाभिहतः स्वकर्मनिचयो वीराय भक्तया नमः ।। वीरात्तीर्थमिदं प्रवृत्त मतुल वीरस्य वीरं तपो। वीरे श्री द्युतिकांतिकीर्ति धृतयो हे वीर ! भद्रंत्वयि ॥ X नमोस्तु तुमको सकल लोक के चूड़ामणि हे परमात्मन् ! नमोस्तु तुमको वीर धीर' महावीर प्रभो त्रिशलानंदन! नमस्तु तुमको जिनपुगव' जिनवर्द्धमान हे प्रभु अतिवीर! नमस्तु तुमको हे सन्मति प्रभु' मुझको सन्मति दो महावीर॥Page Navigation
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