Book Title: Mahasati Dwaya Smruti Granth
Author(s): Chandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
Publisher: Smruti Prakashan Samiti Madras

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Page 7
________________ ले पाता। इतना ही नहीं डॉ. गौड़ ने सम्पादन में भी पूरा-पूरा सहयोग प्रदान किया और ग्रंथ को पूरी साज-सज्जा के साथ सुन्दर रूप से मुद्रित कर प्रकाशित करवाया। इसके लिए मैं उनके प्रति भी अपना आभार प्रकट करता हूँ। यदि अर्थ सहयोगी स्वधर्मी बन्धु उदार हृदय से अर्थ सहयोग नहीं देते तो भी यह ग्रंथ मूर्तरूप नहीं ले पाता। इसलिये मैं सभी अर्थ सहयोगी बंधुओं का भी हृदय से आभारी हूँ। इसके अतिरिक्त इस ग्रंथ के तैयार होने में जिन-जिन महानुभावों का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग रहा है, उनके प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ और विश्वास करता हूँ कि भविष्य में जब भी आवश्यकता हो, सभी का इसी प्रकार का सक्रिय सहयोग अवश्य प्राप्त होगा। इसी कामना के साथ - अक्षय तृतीया वि. सं. २०४९ रीखबचन्द लोढ़ा संयोजक स्मृति प्रकाशन समिति, ४५, वीरप्पन स्ट्रीट, साहुकार पेठ, मद्रास - ७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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