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सांधार प्रासादके वालंजर (१५०) स्कंधहीन और स्कंधवेधदोष १५१ छाद्योलसे शिखर स्कंधका २१ विभागमें शुकनासका पंचविध प्रमाण १५२ कोकिला-लक्षण-(प्रासादपुत्र) १५४ आमलसारा विभाग १५५-५६ शिखरका स्कंधके कोण पर तापस-या शिव या जिन मूर्ति रखना १५७-५९ ध्वजादंडका शिखरमें निश्चित स्थान, ध्वजाधर स्तंभवेधका प्रमाण ध्वजादंडके साथ स्तंभीका ध्वजावतीका प्रमाण और प्राकृति कलश (ईडा) प्रमाण प्रासादसे रखना उनका विभाग (९४६) १६१-६२ प्रासाद पुरुषका प्रमाण-आकृति-धृत कलश साथ मामलसारमें स्थापनविधि १६३ ध्वजादंडका मान प्रमाण और दैर्ध्य प्रमाणका पृथक पृथक मान, पर्व अर्थात् गाला और ग्रंथी-कांकणी सम विषम रखनेका विधान शिवशक्तिका दंड पर्व ध्वजदंडकी मर्कटि- पाटलीका प्रमाण, श्रीष्ट दंडकाष्ट, पताका प्रमाण, ध्वजहीन शिखर रखनेका दोष १६१-से १७२
यजमान-स्वामि-प्रासाद पूर्ण हुये स्थपतिसे करनेकी प्रार्थनाशुभाशिष १७२-१७३ ६.१-आलेखन गोर्ध्वग उरुगेवं उरुशृंग रखनेका विभाग
११४ २ आमलसारा विभाग ३ (१०८) १४८ वृत ४ सांधार-निरंधार प्रासादका मूल शिस्तरका उपांग वालंजर-१५१६ रेखा-१ स्कंधान्त-२ घंटान्त-३ शिखान्त (१५२) ७x१४ विभाग आमलसारा १५५ ध्वजाधर-स्तंभिका-ध्वजादंड-पताका पाटली (१५८) ७ कलश विभाग ९४६ और १५४१० सुवर्णका प्रासाद पुरुष (१६४) सारा शिखर विभागे ध्वजाधारका स्थान के साथ ध्वजदंड पाटली पताका (१६५)
११ छाद्योर्ध्व शिखरकी रूपवाली जंघा; भद्रके अलंकृतगवाक्ष १६७ १६-११४-अध्याय (क्रमांक भ० १६) अथ रेखा विचार १७४-८१
पंचखंडसे उन्नतिश खंड तकका रेखाका २५ भेद (१७४) चारसो पेंतीस कलाभेदो शीखरका पायवा और स्कंधका फालना विभाग आमलसारा प्रमाण १७५-७६ अजितादि २५ रेखाका नाम-आकार और खंड पंच-सप्तनव ..
नासक विभाग-सरतर-वारिमार्ग आलेखन नासक विभाग १७७-८१ १७-११५ - अध्याय (क्रमांक अ० १७) स्तंभ (मान प्रमाण और) लक्षणाधिकार
प्रासाद माने स्तंभमान-दुसरा पंचविध प्रमाण-तीसर। सभा-मंडपका मान ८२-१८३ पांच प्रकारका स्तंभोंका तलदर्शन और नामकरण
१८५-८७ स्तंभोंका घाट-घटपल्लवयुक्त देवाङ्गना और इलिका तोरणायुक्त-मदलयुक्त। १८६ प्रानिव या नृत्यमंडपका पीठ बंधका तीन प्रकार और आकृति । १८८-८९ तीन, पाँच या सात नव भूमि उदय मंडप चतुर्मुख प्रासादके चारों ओर मंडपों करना ।
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