________________
२०७
থ সমাহাম্রাঘিাষ
नौ शाखाओंके मोटेपनमें ग्यारह विभाग करना । उसमें दो रूपस्तंभो दो दो भागके-और बाकी शाखाओंको एक एक भागकी रखना । १ पत्र शाखा २ गंधर्व शाखा ३ रूपस्तंभ ४ खस्वशास्त्रा ५ गंधर्व शाखा ६ दूसरा रूपस्तंभ मध्यका ७ रूप शाखा ८ खल्व शाखा ९ सिंह शाखा जानना । सिंह शाखा और पत्र शाखा मूलरेखाके समसूत्र में रखना । १५-१६.
-
Renumari
p ramananel
पंचशाचा ६२.
RAMDHAN
...
/
त्रिशाखाका द्वार उदम्बर और शंखोद्वार-अर्धचंद्र ।