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अथ प्रतिमा पीठलिङ्गमानाधिकार
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દ્વાર વિસ્તાર જેટલી શયન પ્રતિમા લાંબી રાખવી. (અપરાજિત સૂત્ર માં આપેલા પ્રમાણથી આ प्रभाए! नानु छे.) ७-८.
इस प्रकार खडी प्रतिमाका मान जानना । शयनासन प्रतिमाका मान द्वारोदयके आधे भागमें रखना । जलशय्याके मान के अनुसार द्वारका विस्तार रखना द्वार विस्तारसे शय्या मूर्तिके विस्तारका लंघन नहीं करना अर्थात् द्वार विस्तारके बराबर शयन प्रतिमा लम्बी रखना। ७-८ (अपराजित सूत्रके प्रमाणसे यह प्रमाण छोटा
गवाक्ष, वारह : पक्षमै बिरालिका
द्वारस्य विस्तराद्धेनि पादोनेवा विचक्षणं
दलौकृत्य तदस्थाने प्रमाण तु त्रिधा पुनः ॥९॥ ગર્ભના દ્વારની પહેલાઈન (૧) અર્ધ ભાગે (૨) પિણ્ ભાગે (૩) કે દ્વારા વિસ્તાર જેટલી એમ ત્રણ પ્રકારે પ્રતિમાના વિસ્તારનું પ્રમાણ જાણવું. ૯.
गर्भगृह के द्वारकी चौचाईक (१) आधे भागमें (क) पौने भागमें (३) या द्वार विस्तारके बराबर इस तरह तीन प्रकारसे प्रतिमाके विस्तारका प्रमाण जानना। ९
३ तृतीयांशेन गर्भस्थ प्रासादे प्रतिमोक्षमा। मध्यमा स्वदशांशेन पंचमांशोना कनीयली ॥६१॥ दीपार्णव