Book Title: Kshayopasham Bhav Charcha
Author(s): Hemchandra Jain, Rakesh Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust

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Page 6
________________ सम्पादकीय जिन विषयों पर समाज दिग्भ्रमित है, अतः उसे सम्यक् मार्गदर्शन की आवश्यकता है - ऐसे विषयों पर विशेषरूप से आ.बाल ब्र. भाईसाहब पण्डित श्री हेमचन्दजी जैन 'हेम' द्वारा लेखन-कार्य किया जाता रहा है, उन्हें प्रकाशित करने का महद् कार्य श्री अखिल भारतवर्षीय जैन विद्वत्परिषद् ट्रस्ट के माध्यम से किया जा रहा है, उसी सन्दर्भ में विगत वर्ष अगस्त 2016 में 'सम्यक्त्व चर्चा' का प्रकाशन किया गया था। उसी श्रृंखला में यह 'क्षयोपशम भाव चर्चा' नामक पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत पाँच भावों में समागत 'क्षयोपशम भाव' का विश्लेषण किया जा रहा है / यद्यपि इस पुस्तक के अधिकांश अंशों का प्रकाशन, 'धर्ममंगल' मासिक पत्रिका के मार्च 2008 में किया जा चुका है। लेकिन यहाँ यह नये कलेवर एवं प्रस्तावना के साथ प्रस्तुत किया गया है। आदरणीय डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल की अध्यक्षता एवं मार्गदर्शन में संस्था से ऐसी विद्वतापूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन हो रहा है - यह समस्त समाज के लिए अत्यन्त गौरव की बात है? इसमें समय समय पर क्षयोपशमभाव के सम्बन्ध में जो चर्चाएँ, भाईसाहब हेमचन्दजी ने लिखी हैं, उनका समावेश किया गया है तथा प्रस्तावना में मैंने इस विषय को समझने हेतु विस्तृत ऊहापोह एवं विषय के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा प्रस्तुत की है। इसके अलावा आ. सिद्धान्ताचार्य पण्डित श्री जवाहरलालजी शास्त्री भीण्डर, सिद्धान्ताचार्य पण्डित कैलाशचन्द्रजी शास्त्री वाराणसी, पण्डित श्री रतनलालजी शास्त्री इन्दौर, आदि वरिष्ठ विद्वानों के विशिष्ट लेखों को भी इस पुस्तक में समाहित किया गया है। इन सबका परिचय अनुक्रमणिकानुसार जाना जा सकता है।

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