Book Title: Kshayopasham Bhav Charcha
Author(s): Hemchandra Jain, Rakesh Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust

View full book text
Previous | Next

Page 178
________________ ब्र. हेमचन्द जैन 'हेम' ब्र. हेमचन्द्र जैन 'हेम', मुमुक्षु समाज में एक जाना-पहचाना नाम है। आपके पिता का नाम श्री लक्ष्मणप्रसाद सिंघई एवं माता का नाम श्रीमती मूलाबाई है। 13 जनवरी 1946 (पौष कृष्णा एकादशी, वि.सं. 2002) को रायसेन (म.प्र.) जिले के नई गढिया (बेगमगंज) ग्राम में धार्मिक परिवार में जन्मे ब्र. हेमचन्दजी ने श्री गणेश वर्णी दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय, सागर से धार्मिक एवं संस्कृत शिक्षा प्राप्त कर, मैकेनिकल इंजीनियर (D.M.E, D.T.Ed) की परीक्षा 1969 में उत्तीर्ण की और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भोपाल में 1971 से 1997 तक कार्यरत रहे। _पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी से प्रभावित होकर, आपने 27 मई 1971 को श्री टोडरमल स्मारक भवन में पू. स्वामीजी से ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया। पू. गुरुदेव श्री कानजीस्वामी के अतिरिक्त आप पण्डित टोडरमलजी, श्रीमद् राजचन्द्रजी, क्षु. सहजानन्द वर्णी, क्षु. जिनेन्द्र वर्णी से भी प्रभावित रहे। आप पूज्य मुनि श्री वीरसागरजी से 1984 से 1990 तक सम्पर्क में रहे, आपने अनेक दिगम्बर सन्तों के साथ गोष्ठियों व वाचनाओं में भाग लिया। सोनगढ व जयपुर के शिविरों में आप निरन्तर भाग लेते रहे व अपने प्रवचनों के माध्यम से अध्यात्म-जगत् को लाभान्वित करते रहे। अंग्रेजी भाषा पर आपकी अच्छी पकड होने के कारण आपने लघु जैन सिद्धान्त प्रवेशिका, धर्म के दशलक्षण, मोक्षमार्गप्रकाशक, प्रश्नोत्तर-मालिका, जैनधर्म, सामायिक प्रतिक्रमण और पंच-परमेष्ठी, दिव्यध्वनि-सार, आदि कृतियों के अंग्रेजी अनुवाद किये, जिनके प्रकाशन से समाज लाभान्वित हुई। आपके द्वारा सम्पादित अंग्रेजी ग्रन्थों में द्रव्यसंग्रह, रत्नकरण्ड-श्रावकाचार, तत्त्वार्थसूत्र आदि मुख्य हैं।। आपने समयसार (दोनों टीकाओं के अनुवाद सहित), लाटी संहिता, ज्ञानानन्दश्रावकाचार, समाधि-शतक, सामान्य जैनाचार-विचार आदि का सम्पादन भी किया है। आपकी छह महत्त्वपूर्ण कृतियों का प्रकाशन, अ.भा. दि. जैन विद्वत्परिषद् द्वारा किया जा रहा है ; इनमें से सम्यक्त्व चर्चा, क्षयोपशम भाव चर्चा का प्रकाशन तो किया जा चुका है। आगामी प्रकाशनों में पंच भाव चर्चा, ध्यान चर्चा, दृष्टि का विषय चर्चा, जैन न्याय चर्चा, द्रव्यस्वभाव पर्यायस्वभाव चर्चा आदि प्रधान हैं। इन सभी पुस्तकों का संयुक्त बृहदाकार ग्रन्थ 'ज्ञानदीप भी प्रकाशनाधीन है। आपके द्वारा चार अमेरिकन छात्रों को अंग्रेजी के माध्यम से जैनधर्म का अध्ययन कराया गया।

Loading...

Page Navigation
1 ... 176 177 178