Book Title: Khartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 446
________________ (२२१६) चेतविशाल-पादुका ॥सं। १९१२ शाके १७७७ प्रवर्त्तमाने मिगसर वदि पंचम्यां बुधवारे पं। चेतविशाल पादुका शिष्य पं। धर्मचन्द्रेण कारापिते। श्री। श्रीबृहत्खरतरआचार्यगच्छे। श्रीमहाराजाधिराज श्रीसिरदारसिंहजी विजयराज्ये॥ __ (२२१७) धर्मनाथ-पादुका ॥ सं० १९१२ वर्षे शाके १७७७ मिते मासोत्तममासे मार्गशीर्ष कृष्णपक्षे नवमी तिथौ सोमवासरे विजययोगे कुंभलग्ने श्रीसम्मेतशैले श्रीधर्मनाथचरणपादुका प्रतिष्ठिता बृहत्खरतरभट्टारकोत्तम भट्टारक श्रीजिनहर्षसूरीणां पदप्रभाकर श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः ससाधुभिः कारिताश्च वाराणसीय श्रीसंघेन कालिपुरस्य संघेनया। (२२१८) विद्याविशालगणि-पादुका ___ सं० १९१२ रा मिति मिगसर सुदि २ बु० पं० प्र० श्रीविद्याविशालजिद्गणिनां पादुका प्रशिष्य पं०. लक्ष्मीप्रधानमुनिना प्रतिष्ठापितं श्रीरस्तु। __(२२१९) चरणपादुकालेखः संवत् १९१२ शाके १७७७ प्रवर्त्तमाने पौषमासे वदी दशमी तिथौ बुधवासरे श्रीसकलसंघेन पुनः श्रीक्षेमकीर्तिशाखायां महोपाध्याय श्रीशिवचन्द्रगणिगजेन्द्राणाम् शिष्य विद्वद्रामचन्द्रमुनिना च शिष्य पं० इन्द्रचन्द्र मोहनचन्द्र युतेन छत्रिकायुक् श्रीखरतरगच्छनायक नवांगीवृत्तिविधायक श्रीअभयदेवसूरि श्रीजिनदत्तसूरि नरमणिमंडितभाल श्रीजिनचन्द्रसूरि श्रीजिनकुशलसूरीणां श्रीगौडीजीनां शुभ मुहुर्ते महामहोत्सवे श्रीसद्गुरुचरणपादुका श्रीगौड़ीजीना छे ॥ ऋषभजिनपार्श्वनाथ ॥ (२२२०) दादागुरु-पादुका-चतुष्टय संवत् १९१२ का० मिति फागुन वदि ७ तिथौ गुरुवासरे श्रीधुलेवानगरे श्रीक्षेमकीर्तिशाखोद्भव महोपाध्याय श्रीरामविजयजीगणि शिष्य महोपाध्याय शिवचन्द्रगणि शिष्य.........रामचंद्रमुनिना शिष्य मोहनचंद्र युतेन श्रीसत्गुरुचरणकमलानि कारितानि महोत्सवं कृत्वा प्रतिष्ठापितानि स्थापितानि च वर्तमान श्रीबृहत्खरतरगच्छभट्टारकाज्ञया च श्रीअभयदेवसूरि जिनदत्तसूरि जिनचंद्रसूरि जिनकुशलसूरीणां चरणन्यासः। (२२२१) आदिनाथ-सपरिकरः ॥सं० १९१२ शाके १७७७ फाल्गुनमासे शुक्लपक्षे २ तिथौ श्रीमालवंशे फोफलियागोत्रीय खूबचंद तत्पुत्र बहादुरसिंह..............................चारित्रउदय उपदेशेन...................श्रीआदिनाथजिनबिंबं कारितं प्रति० श्रीमबृहद्भट्टारकखरतरगच्छे श्रीजिननंदीवर्द्धनसूरिभिः॥ २२१६. खरतरगच्छीय शाला, नाल, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २३१३ २२१७. धर्मनाथ टोंक, सम्मेतशिखर : पू० जै०, भाग १, लेखांक ३६९ २२१८. रेलदादाजी, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २०८६ ।। २२१९. जैनमंदिर, मक्सी, शाजापुर : मालवांचल के जैन लेख, लेखांक २६३ २२२०. केशरियानाथ जी का मंदिर, मेवाड़ : पू० जै० भाग १, लेखांक ६४६ २२२१. श्रीमालों की दादाबाड़ी, जयपुर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ५८२ (३८८) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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