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(२५७७) श्रीमती गुरुणीजी महाराज विवेकश्रीजी महाराज सं० १९७४ श्रावण वद
(२५७८) पादुकाः सं० १९७५ वै० सु० १ गीवायां चमणजी अभुजी कस्तुराजी रामी इंद पादुका ३ अंदर रामी बाहर
शुभं।
(२५७९) जिनकुशलसूरि-पादुका श्रीजिनकुशलसूरिभिः वीर सं० २४४५ वै० सु०
(२५८०) जिनकुशलसूरिमूर्तिः ॥ स्वस्ति श्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्री १००८ श्री जं० यु० प्र० श्रीबृहत्खरतरगच्छ भट्टारक चौरासीगच्छ श्रृंगार दादाजी श्रीजिनकुशलसूरिजी महाराज का बिंबं स्थापना किया श्रीप्रवर्तिनी पुण्यश्रीजी के उपदेश से सुश्रावक तेजकरणजी ने ॥ संवत् १९७५ श्रीवैशाख शुक्ला ६ गुरुवासरे॥
(२५८१) जिनकुशलसूरिमूर्तिः ॥ वि० सं० १९७५ श्री वै० सु० ६ गु० ॥ स्वस्तिश्री १००८ श्रीश्रीश्रीश्रीदादाजी जिनकुशलसूरिजी का बिंब प्रतिष्ठा।
(२५८२ ) जिनयशःसूरिमूर्तिः परम संवेगी महातपस्वी प्रशान्त श्रीमज्जिनयश:सूरिजी प्रसिद्धनाम पंन्यास श्री यशोमुनिजी गणि महाराजस्य मूर्तिरियं ज्ञान-भांडागारसहिता स्थापिता श्रीसंघेन प्रतिष्ठितं च शिष्य पंन्यास केशरमुनि गणिना सं० १९७५ माघ सु० ५
___ (२५८३) चांदमल-हुलासकुंवर-स्मारक ॐ श्रीवीतरागाय नमः। विक्रम सम्वत् १९१७ मिति मिगसर वदि १४ को सेठ चांदमलजी साहब लूणिया का स्वर्गवास हुआ तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हुल्लासकुंवर का स्वर्गवास संवत् १९३६ मिति आसोज वदि १३ को हुआ। उनकी दाहभूमि पर यह स्मारक भवन संवत् १९७६ मिति वैशाख सुदि १३ सोमवार मिथुन लग्न में उनके सुपुत्र रायबहादुर राजाबहादुर श्रीयुक्त सेठ थानमलजी लूणिया वर्तमान निवासी दक्षिण हैदराबाद रेजीडेन्सी बाजार वालों के करकमलों द्वारा शहर अजमेर स्थान दादाबाड़ी में प्र। १९७६ शुभम्। २५७७. रेलदादाजी के बाहर, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २१२२ २५७८. रेलदादाजी के बाहर, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २१२७ २५७९. कुंथुनाथ जिनालय, रांगड़ी चौक, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १७०३ २५८०. नयामंदिर, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६९२ २५८१. इमलीवाली धर्मशाला, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६९३ २५८२. जिनयशसूरिज्ञान भंडार, जोधपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६९५ २५८३. दादाबाड़ी, अजमेरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६९४
(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः
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