Book Title: Khartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 533
________________ १- परिशिष्ट लेख संग्रह में उद्धृत पुस्तकों की नामानुक्रमणी *अ० प्रा० जै० ले० सं० भाग-२ अर्बुद प्राचीन लेख जैन संदोह भाग-२, संपा०- मुनि जयन्तविजय, प्रका० - श्री दीपचंद बांठिया, मंत्री, श्री विजयधर्मसूरि ग्रन्थमाला, उज्जैन वि० सं० १९९४ लेखाङ्क- १९, ४४, ४९, ८२, ९१, १८३, २५५, २६८, ४२१, ५३७, ५३८, ५३९, ५४०, ५४१, ५४२, ५४३, ५४४, ५४५, ५४६, ५४७, ५४८, ५४९, ५५०, ५५१, ५५२, ५५४, ५५५, ५५६, ५५७, ६८२, ६८३,७२३, ७२४, ७७२,७९२, ११३३, १७८८ अ० प्र० जै० ले०सं० भाग-५ अर्बुदाचल प्रदक्षिणा जैन लेख संदोह भाग-५, संपा०- मुनि जयन्तविजय, प्रका० - श्रीदीपचंद बांठिया, मंत्री, श्री विजयधर्मसूरि ग्रन्थमाला, उज्जैन, वि० सं० २००५ लेखाङ्क-५,९,१६४, १८२, २३७, ४१३, ४४२, ५६०,७१९,८३२, ९३४, ११३०, १२०४ कुलपाक तीर्थ, लेखक-महोपाध्याय विनयसागर, प्रकाशक- अमोलकचन्द सिंघवी, मंत्री, श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ, कुलपाक । प्रकाशन वर्ष- सन् १९८८ लेखाङ्क- २६८८, २६८९, २७२३ जिनहरिसागरसूरि लेख संग्रह, अप्रकाशित, श्री जिनहरिसागरसरि ज्ञान भण्डार, पालिताणा। लेखाङ्क- २०, ६०, ७८, जैन तीर्थ सर्व संग्रह भाग-१, खण्ड-१,लेखक- पं० अम्बालाल प्रेमचन्द शाह, प्रका०- आनन्दजी कल्याणजी की पेढ़ी, अहमदाबाद, सन् १९५३ लेखाङ्क- २३, २४, जैन तीर्थ सर्व संग्रह भाग-१, खण्ड-२, लेखक- पं० अम्बालाल प्रेमचन्द शाह, प्रका०- आनन्दजी कल्याणजी की पेढ़ी, अहमदाबाद, सन् १९५३ लेखाङ्क- ४२, ४३, २८५, ३८४, ६२२, ८९९, १३७४, १४१२, १४२८, १४६९ जैन तीर्थ सर्व संग्रह भांग-२,लेखक- पं० अम्बालाल प्रेमचन्द शाह, प्रका०- आनन्दजी कल्याणजी की पेढ़ी, अहमदाबाद, प्र० सन् १९५३ लेखाङ्क-५३, ६२, २५६, ३४२, १२०१, १४१०, १४४१, १७६१, १७७५, २३४०, २३७८ जै० धा० प्र० ले० जैन धातु प्रतिमा लेख, संपा०- मुनि कान्तिसागर, प्रका०- श्री जिनदत्तसूरि ज्ञान भंडार, सूरत, प्र० सन् १९५० लेखाङ्क- ८४,१०४, २३२, २९६, ३०४, ३६२,४३२, ४३९, ४५८, ४८२, ४८५, ४९१,५०९, ५८४, ५८८,५९४,५९८, ६५७,७१८,७७५, ८०६, ९२७, ९५०, ९५७, १०००, १०१३, १०७६, १२२८, १५६१, १५८१, १५८८, १५८९, १५९०, १६१३, १६३१, १७७७, १७८३,१७८५, १८६५, १८६६,१९७८,१९८०, २००२, २८६६, २०६८, २०७५, २१६९, २३१८, २३५५, २३५६, २४४०, २४९० * पहले लेख-संग्रह में उद्धृत पुस्तकों के सांकेतिक नाम दिये हैं और बाद में पुस्तक का पूर्ण नाम और लेखक आदि का नाम दिया गया है। © लेखांक प्रस्तुत लेख-संग्रह के दिये गये हैं। परिशिष्ट-१ ) (४७५) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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