Book Title: Khartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 580
________________ ७१५ ८६ वना लावण्यकीर्ति १३८७ | विवेकरत्नसूरि ६००,६०१,११३७ ।' लावण्यशीलोपाध्याय विवेकलब्धिमुनि २४२९ वखता १७०३ विवेकविजय १६५३ वज्रस्वामी विवेकहंसोपाध्याय २५५ १४२० वीरपुत्र आनन्दसागर २६११ वर्धमान पं. १५५७ वृद्धिचन्द २४४३, २५४०, २५८४, २५९२, वर्द्धमानसूरि १, ८६, २८८, ३६०, ८४२, २५९३, २५९४ ८८८, ११९३, १२०५, १३१०, शान्तिरत्नगणि ७१५,७६० १३११, १३१४, १३८७, १५६६, शान्तिश्री २६२३ १५६७, १९३४, २११०, २१३५, शान्तिसागरसूरि १०८९ २१३७ शान्तिसोम पं. १७६९ वर्द्धमानसूरि (अभयदेव-शिष्य) १ शाम्यानन्दमुनि २७३५, २७३६, २७३७, २७३८ वर्णकीर्ति १२८१ शिवचन्द्रगणि १८१८,२२१९, २२२०,२२२४, विचक्षणश्री प्र. २७२३ २३२८ विजयचन्द्र ६८२, ६८३,१५४२, १९८५ शिवलालमुनि २२८८, २४७७ विजयमुनि २०६१ शिवशेखर ८३० विजयराज मुनि ११४५ शिवसुन्दरोपाध्याय १३८७ विजयलाल २६१६, २६१८ शुभशीलगणि ३४२, ३४३, ३४४,३४५, ३४६, विजयवल्लभसूरि २६८६ ३४७, ३४८, ३४९ विजयसमुद्रसूरि २६८६ श्यामलाल २४८५, २६१६, २६१७, २६१८ विज्ञानश्री २७२३ श्रीचन्द्र १६३३, १९५५ विद्यादानसूरि ११५६ श्रीचन्द्रगणि १६९५ विद्याविजयगणि १४८५ श्रीचन्द्रसूरि (अभयदेवसन्ता.) ५ विद्याविशालमुनि २३३८,२४२४, २४७९ श्रीचन्द्रसूरि (रुद्र.) विद्यासागर उ. ११३८,१२७१ श्रीमुनि ८४० विद्याहेमगणि १६८९,१६९०,१६९१ श्रीसुन्दर १२३२,१६११, २४४९ विनयचन्द्र २५३१ संघतिलकसूरि (रुद्र.) विनयप्रधानमुनि २३३४ सकलचन्द्रगणि ११९३ विनयप्रमोदगणि १६९५,१७४५ सत्यजीगणि १७१० विनयराजसूरि १०३८ सत्यमाणिक्यमुनि २०६३ विनयलाभ १६९५ सत्यरत्न १४९५ विनयलाभगणि १५००,१७४५, सदाकमलमुनि २४३२ विनयविजय २००९,२०११,२०१२,२०१३, | सदानन्द १७३४ २०१४, २०१५ सदारंगमुनि १३०७ विनयसागर महो. २७५८ सदालाभगणि २२०७, २२२५, २२६८, २२६९, विनयहेमगणि २४७९, २५२४ २३०९, २३१०, २३११, २३१२, विनीतसुन्दरगणि १८५३ २३१४, २३१५,२३२६,२३४१, विनचन्द १९५१ २३४६ विनोदप्रमोदगणि १५०० समयकीर्तिगणि १३०७ विमलचन्द १५४१ समयभक्तोपाध्याय ८४६,८८७ विवेककीर्तिगणि २४४५ समयराजोपाध्याय १२१३,१२२७,१२३५,१२३६, ९१ परिशिष्ट-३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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