Book Title: Khartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 581
________________ समयसुन्दगरगणि समयसुन्दरगणि समयसुन्दरोपाध्याय समुद्रसूरि समुद्रसोम सरूपचन्द्र सर्वानन्दसूरि सहजकलशगणि सहजकीर्तिगणि सांकर सागरचन्द्रगणि सागरचन्द्रसूरि १२३८,१२३९,१२४४,१२४५, सुमतिवल्लभगणि १२५८,१२६०,१२६१,१२६८, सुमतिविमल १२८९,१३५७,१४३५ सुमतिविमलगणि १२८९ सुमतिविशालमुनि १३५७,१५८०,१८५२ सुमतिशेखरगणि १४८५ सुमतिसागर २४९२ २३३७, २३४३, २३५१, २३५३ | सुमतिसिन्धुरगणि २४४९, २४८६ सुमतिसुन्दरगणि १०३८ सुमतिहेमगणि ११३३ सुलक्षणाश्री १३३५ सुलोचनाश्री १४३५ सोमकुञ्जर १५७७, २३४०, २३४९, २३७५ | सोमसुन्दरसूरि (रुद्र.) १४६, १०१६, १४२१, १४८७, १६०४,१८५०,१९२७,१९२९, सोहनश्री प्र. १९५५,२५४१ सौभाग्यधीर पं. १३८१ सौभाग्यमाला सा. १५००,१६९५ सौभाग्यविजया सा. १७४५ स्वरूप १५८० स्वरूपचन्द्र २२६७,२३२४, २३६३ हजारीनन्द १०८ हरषचन्दगणि हरिकलश उ. १६६१ हर्षकल्याण २४७४ हरिप्रभगणि १४२८ हरिभद्रसूरि १५९८ हर्षकल्याणगणि १८६७, २६१३, २६२२, २६२३, हर्षकीर्ति २७२३ हर्षचन्द्र १३०७, २६१४, २६१५, हर्षनन्दनगणि २६९०,२६९१,२६९२ हर्षनिधान म. २२८८ हर्षभद्रगणि १९५१,२४७९,२५२४ हर्षमुनि ४६ हर्षमूर्ति २५२७ हर्षरंगमुनि १२३८,१४४४ हर्षराजमहोपाध्याय १६९५,१७४५ हर्षवल्लभगणि १८५० हर्षविशाल २३६० हर्षसागर १२९७ हर्षसुन्दरसूरि (रुद्र.) १६९५,१७४५ १४९९,१५०१,१५००,१६९५ १६१७,१७४५ २३३७, २३४३ १९१७, २४३०, २४६०, २५७५ १२३८,१४६८,१५००,१६९५, १७४५, २५४२, २४६७, १४५८ १६१७, १६९५, १७४५ १६१७, १६९५, १७४५ २७४६, २७४७ २७४६, २७४७ २८८ ३१६,३७२,४८५,५९१,६०२, ६०३ २७२३ १७८४ १४८४ १५१२ २०७८ १६११ १५८० १५५५ ११३३ २३०१ ८६ साधुकीÉपाध्याय साधुरंगगणि साधुराजगणि सारंग . साहिबचन्द्रमुनि सिंहतिलकसूरि (रुद्र.) सिद्धिसेनमुनि सिवलालमुनि सीरराजमुनि सुखरत्न . . सुखसागर सुखसागरगणि सुखसागरमुनि सुगणानन्द सुगुणप्रमोदमुनि सुधर्मस्वामि सुन्दरलाल सुमतिकल्लोलगणि सुमतिधर्मगणि सुमतिधीरगणि सुमतिमण्डन सुमतिलक्ष्मी २४३३ २१६५, २४६८ १७५५, २०७३ १२३६,१४५२,१४५३,१५८० १५२१ ३६० २५६१,२५६२,२५६३,२५६४ ८६ १८४८,२०६६ ११०३ १३७७ ७१५ १४९८ १२०, १६९, १७९, १९९ (५२३) परिशिष्ट-३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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