Book Title: Khartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 579
________________ मोतीचन्द मोदमूर्तिगणि मोहनचन्द्र मोहनलालगणि मोहनलालजीमुनि यतनश्री यश:कीर्ति यश:कुशलगणि वा. युक्तिअमृतमुनि युक्तिसेन २५५ योधराज रत्नचन्द्रगणि रत्नतिलकगणि उ. रत्ननिधान रत्ननिधानोपाध्याय रत्नमर्तिगणि रत्नराजगणि रत्नलाभमुनि रत्नविशालगणि रत्नशेखरगणि रत्नसार वा. रत्नसुन्दरगणि रत्नसुन्दरीगणिनी रत्नसोम उ. रविश्री राजधीर राजमन्दिरगणि राजलाभगणि राजसार उ. राजसागर उ. २०७१, २१५०, २१५१ रामवल्लभगणि ८६ रामविनय महो. २२१९, २२२० रामविजय महो. २५२१, २५४५ रामविजयगणि २४७३, २५२४, २७३५, २७३६ | रायचन्द वा. २४८० रावतमल ४४ रिद्धविलास १२२३,१२७० रुघमुनि २३५२ रूपचन्द्र म. १५६२ २०६८ रूपचन्द्रमुनि २०७१, २१५०, २१५१ रूपदत्तगणि १४०२, १४०३,१४०४ रूपधीर १७८० रूपविजिया साध्वी १२१३ लक्ष्मीकुशल २९१, २९२,.३६०,३७५ लक्ष्मीचन्द्रगणि १७१८ लक्ष्मीनिवासगणि लक्ष्मीप्रधानगणि १२७८ १५६२ लक्ष्मीप्रमोद १३३५ लक्ष्मीमन्दिर १८१७ लक्ष्मीश्री सा. २५५ लक्ष्मीसागरगणि १४३७ लक्ष्मीसुख पं. २६२२, २६२३ लक्ष्मणगणि १३१२ लब्धिकीर्ति पं. २४१९ लब्धिकीर्ति पं. १५३९ लब्धिकुशलसूरि १४६८,१५२३,१५२४ । लब्धिधीर १३०१,१५२२, १५२५,१५२८, | लब्धिवर्धन १५४० लब्धिसेनगणि २४१७ ललितकीर्ति २२८८ लाभकुशलगणि २२८७ लाभशेखर १२८९ लालचन्द १३८४,१४३३,१४३५ लालचन्द्रगणि २६३१ १७३०,१७३३ १८८१, २४३०, २४८४ लावण्यकमलगणि २२१९, २२२०, २३२८ २४९८,२५८६ १७५२ १४७५ १६१४ २२२० १६३३ २५६५ १७७४ २२८८ १६१६,१७०३,१७४५,१८१८, १८८९, २०७९, २१५०, २१५२ १८९०, १८९१, २३६३ १५६२ १६१७ १६२६ १४६९ २५२७ ४४ २२१८,२३३८,२४२६,२४७९, २५२४, २५६५, २६१० १२०५ २१६९ २४१३ २५५ १५६२ २२८८ १२८९ १३८४,१४३३, १४३५ १४७३ १८४८ १२८७ १४०२,१४०३,१४०४ १४५६ २४७९,२५२४ २२८७ १८५२,१८५९, १८९०,१८९१ १६४५,१६४६, १६४७,१६४८, १६४९,१६५०,१६५१,१६५२, १६५४,,१६५८,१६५९,१६६० १६०५,१६०६,१६०७,१६१२, १६६५,१६६६,१६६७,१६६८, १७११ राजशेखरमुनि राजसुख राजसोम राजहंस राजहंसगणि रामऋद्धिसारगणि रामचन्द्र पं. रामचन्द्रगणि रामचन्द्रमुनि रामलालगणि परिशिष्ट-३ (५२१) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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