Book Title: Khartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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११
देवचन्द्र
१८९५,१९१४,१९२६, १९३४,| धर्मानन्दमुनि १९९१, २०६४,२०६४, २१६६, धीरधर्मगणि
२३३५, २३३६, २४५२ धीरपद्म देवचन्द्रगणि उ. १५१८,१५२२,१५२४,१५२५, धेनमाला सा.
१५२६, १५२८,१५३६, १५३८, नन्दरामगणि १५४०,१५४१,१५४२,१५४८, नयभद्रमुनि
१५४९,१५५६, १८३६ नयविजयगणि देवतिलकोपाध्याय १०८९,१०९३
नारायणगणि देवदत्त २६२०
निपुणाश्री सा. देवभद्रसूरि (प्रसन्नचन्द्रसूरि)
निहालगरसूरि? १,१०
नीतिकमलमुनि देवभद्रसूरि (रुद्र.)
नेतसीगणि देवरत्न वा. १०३८
नेमिचन्द्र देवराममुनि
२२८८
नेमिचन्द्रमुनि देवविजय
१२८९,१३८४,१४३५ देवसमुद्र २५५
पद्मकुशल देवसार १२८१
पद्मजय देवसुन्दरसूरि (रुद्र.) ११९, १९९, ३१६, २१३, ३७२, पद्मजस
४८५,५९१,६०२, ६०३,६६७, पद्मनिधान ७८७,७८९, ८७६,९१६, ९१७, पद्मभाग्य ९७१
पद्मविजय पं० धनजी १८७०
पद्मसोम वा. धनप्रभसूरि (मधुकर म.) २३७, ३६३, ३६४,५७३, ६०६,
3.3६४.५७३,६०६, पद्महंसमुनि
७२४,७२६,७६३,८०४,१०९२ | | पद्मोदयमुनि धनराजोपाध्याय ११५७,१२५७
परमसुख धर्मकीर्तिगणि १३०७,१३९१
पुण्यनिधानगणि धर्मघोषसूरि ८,९
पुण्यप्रधानगणि उ. (अभयदेव-सन्तानीय) धर्मचन्द्र
२२१६, २४३४ धर्मदत्तमुनि
२५४१ धर्मधीरगणि
७१५ धर्मनिधानोपाध्याय १३०७,१३१०,१३१२,१३९१ धर्मप्रभागणिनी २५५
पुण्यभक्ति धर्ममूर्ति उ. २५६
पुण्यराजगणि धर्मवल्लभमुनि २४२५,२४२९
पुण्यशील धर्मविशालमुनि २१००
पुण्यश्री प्र. धर्मशील वा. ११५८
पुण्यसागर महोपाध्याय धर्मशीलमुनि २४९८, २६२९
पुण्यहर्ष धर्मसमुद्र
पुर्णानन्दसागर धर्मसिन्धुरगणि १४४४
पूर्णचन्द्रगणि (रुद्र.) धर्मसुन्दर वा. ११५२
प्यारेलाल
१५५९, १७७३, १८३४ २४११ २४६७ २३७६
२२८८ २४१५, २५१६ १५९८ १५५१ २७२३ ३५४ २४९५ १५१७ २२२४ १७३४, २४८५, २५१८, २५२७, २५९०, २६२५, २६३२, २६६० १२२६ २४२२, २४२३ १३१८ १३८२ १९१८ १६६३ १६२१ २२६७,२३२४ २४६३ १८५९ १४७९ ८६, १२३५, १२३६, १२३८, १२३९, १२४१, १२४४,१२४५, १२४९, १२५३, १२५८,१२६०, १२३१,१२६४,१२६७,१२६८, १३५७,१४४८,१४६८,१५००, १६९५, १६९१,१७४५ २१५५ १७३४ १८१८ २५७६, २५८०,२६२३, २७२३ १२.२ १४७९ २७५२, २७५३,२७५४,२७५५ ९१ २५९१
२५५
परिशिष्ट-३
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