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( २६२४ ) मूर्त्तिः
जैसलमेर वासी खरतरगच्छीय। साह सागरमलजी पुत्र पन्नाचंद पत्नी सजनकुंवर (रतलाम) ऋषभदेवमुनिसुव्रत स्थापित सं० १९९५ वै० सु०
(२६२५ ) जिनकृपाचन्द्रसूरिमूर्त्तिः
जं० यु०प्र० बृ० भट्टारक खरतरगच्छीय जैनाचार्य श्री १००८ श्रीजिनकृपाचंद्रसूरीश्वराणां प्रतिकृतिरियं प्रतिष्ठिता काशी निवासी बृ० खरतरगच्छीय श्रीमद्दिङ्मंडलाचार्य श्रीनेमिचंद्रसूरिभिः वि० सं० १९९५ माघ शुक्ल सप्तम्यां शुक्रवासरे पादलिप्तपुरे ।
(२६२६) भैंरोचन्द्र - मूर्तिः
दीक्षा १९३३ श्री भैरोंचन्द्रजी महाराज की मूर्ति छे स्व० १९९० आश्विन सुदि १२
श्रीगुरुभ्यो नमः ॥ गुरुजी महाराज श्री १०८ भैरौंचन्द्रजी कस्येयं मूर्तिः । विष्णुदयालेन कारापिता स्थापिता। प्रतिष्ठितं च उ० श्रीजयचंद्रजी गणि पं० खेमचन्द्रजी सं० १९९५ का माघ शुक्ल त्रयोदश्यां गुरुवासरे.................|
(२६२७) जीर्णोद्धार - लेख :
द्धदतुलयशो युगप्रधान : खरतरगच्छवराच्छरत्नराशिः । जिनकुशलसुनामधेयः धन्यो व्यतनुत नालपुरेत्र भावुकानि ॥ १ ॥ राधे शुक्ले दशम्यां रसनवनवभूवत्सरे विक्रमस्य । कोठारी रावतस्यात्मज इह मतिमानोशवंशावतंशः। श्रीभैरूदाननामा सममथ विविधेनान्य जीर्णोद्धरेण तत्पादाम्भोजयुग्मो परिदृषद् मलच्छत् मेतच्चकार ॥ २ ॥ श्रीपूज्यजिनचारित्रसूरिवर्योपदेशतः प्रतिष्ठां लभतामेषा स्थिरतामचलांचले ॥ ३ ॥ श्रीमज्जिन- हरिसागरसूरीणां समुर्वरितकीर्त्तिनां । समागतिः सहशिष्यैर्व्यधादिह विधानसाफल्यम्॥४॥
(२६२८ ) जीर्णोद्धार प्रशस्तिः
ॐ अर्हं नमः । जंगम युगप्रधान बृहद्भट्टारक खरतरगच्छाधिराज दादाजी श्रीश्री १००८ श्री जिनकुशलसूरीश्वरजी महाराज के चरणारविन्दों पर श्रीपूज्यजी श्रीजिनचारित्रसूरीश्वरजी महाराज के सदुपदेश से नाल ग्राम में संगमर्मर की सुंदर छत्री अन्य आवश्यक जीर्णोद्धार के साथ बीकानेर निवासी स्व० सेठ श्रीरावतमलजी हाकिम कोठारी के सुपुत्र धर्मप्रेमी सेठ भैरोंदानजी महोदय ने भक्तिपूर्वक बनवाने का श्रेय प्राप्त किया मिती वै० शु० १० भृगुवार सं० १९९६ को बड़े समारोह के साथ ध्वजदंड कलशादि का प्रतिष्ठोत्सव सम्पन्न किया। इस सुअवसर में जैनाचार्य श्रीजिनहरिसागरसूरीश्वरजी महाराज की समुपस्थिति अपने विद्वान शिष्यों के साथ विशेष वर्णनीय थी ।
लेखांक ९३
२६२४. खरतरवसही, शत्रुंजय भँवर० ले० सं० (अप्रका० ),
२६२५. धनवसही दादाबाड़ी, तलहटी, शत्रुंजय भँवर० ले० सं० (अप्रका० ), लेखांक १३०
२६२६. फतेहपुर, शेखावटी, संकलनकर्ता भंवर ०
२६२७. जिनकुशलसूरि मंदिर, नाल, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २२८४
२६२८. जिनकुशलसूरि मंदिर, नाल, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २२८५
खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:
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