Book Title: Khartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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(२७२८) जिनकुशलसूरि-मूर्तिः स्वस्ति श्रीबालोतरानगरे सं० २०३६ ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी तिथौ गुरुवासरे खरतरगच्छसंघेन कारिते कलिकालकल्पतरु श्रीजिनकुशलसूरिमूर्तिः प्रतिष्ठितं खरतरगच्छे जिनहरिसागरसूरिशिष्य अनुयोगाचार्य कांतिसागरादिभिः शुभं भवतु श्रीसंघस्य।
___ (२७२९) जिनकुशलसूरिमूर्ति ___ सं० २०३६ जे० सु० ६ शुक्रवासरे हरसानीनगरे पू० श्रीजिनकुशलसूरिबिंबं खरतरगच्छाचार्य श्रीआनंदसागरसूरिशिष्येण उदयसागर प्रतिष्ठितं श्रेष्ठि शेरमलजी छाजेड़ सत्र स्थापी छ।
(२७३०) महावीरः वि० सं० २०३७ वैशाख वदि तृतीया दिने शुक्रवारे पालीताणातीर्थस्थापनार्थे श्रीवर्द्धमानस्वामीजिनबिंबं बीकानेर निवासी स्व० सेठ शंकरदानजी नाहटा सुपुत्र शुभराज भार्या छोटादेवी सुपुत्र तनसुखराय सुपुत्र प्रकाशकुमार नाहटा परिवारेण श्रेयोर्थं कारितं प्रतिष्ठितं च आ० श्रीबुद्धिसागरसूरिजी संतानीयाचार्य श्रीकैलाशसागरसूरिभिः। बीजापुरनगरे । शुभं भवतु संघस्य॥
(२७३१) सीमन्धरः वि० सं० २०३७ वर्षे वैशाख वदि तृतीया दिने शुक्रवारे पालीताणातीर्थस्थापनार्थे श्रीसीमंधरस्वामीजिनबिंबं बीकानेर निवासी स्व० श्रेष्ठीवर्य शंकरदानजी स्व० सुपुत्र भैरोदानजी भार्या दुर्गादेवी तत्सुपुत्र हरखचंदजी पौत्र ललितकुमार प्रदीपकुमार दिलीपकुमार नाहटा परिवारेण श्रेयो) कारितं प्रतिष्ठिता आचार्य श्रीबुद्धिसागरसूरीश्वरसंतानीय आचार्य श्रीकैलाशसागरसूरीश्वराणां बीजापुरनगरे शुभं भवतु संघस्य
(२७३२) मणिधारी जिनचन्द्रसूरि-पादुका वि० सं० २०३७ वैशाख वदि ३ (गु०) युगप्रधान दादा साहेब मणिधारी श्रीजिनचंद्रसूरीश्वरजी चरणपादुका बीकानेर निवासी मेघराज नाहटा भार्या बरजीदेवी सुपुत्र केशरीचंद धर्मपत्नी कंचनदेवी नाहटा परिवार श्रेयोर्थं कारितं प्रतिष्ठा आचार्य श्रीकैलाशसागरसूरीश्वरजी शुभं भवतु संघस्य ॥
(२७३३) श्रीमद् राजचन्द्र-पादुका वि० सं० २०३७ मि० वैशाख वदि ३ पालीताणातीर्थस्थापनार्थं अलौकिक श्रीअध्यात्मशांति परमतत्त्ववेत्ता श्रीमद्राजचंद्र का चरणपादुका बीकानेर निवासी सेठ शुभराज धर्मपत्नी स्व० छोटादेवी नाहटा परिवार श्रेयो) कारितं प्रतिष्ठितं ॥ जन्म कार्तिक सुदि १५ देहोत्सर्ग वि० सं० १९५७ चैत्र वदि ५
२७२८. खरतरगच्छीय दादाबाड़ी, बालोतरा: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक २०३ २७२९. शांतिनाथ जी का मंदिर, हरसाणी, बाड़मेर: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक ३०७ २७३०. दादाबाड़ी, शत्रुजयः भँवर० (अप्रका०), लेखांक ११२ २७३१. दादाबाड़ी, शत्रुजयः भँवर० (अप्रका०), लेखांक १०९ २७३२. दादाबाड़ी, शत्रुजयः भँवर० (अप्रका०), लेखांक १२५ २७३३. दादाबाड़ी, शत्रुजयः भँवर० (अप्रका०), लेखांक ११९
(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:)
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