Book Title: Khartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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(२४८१ ) पार्श्वनाथ- पादुका
शुभ संवत् १९५१ रा मिती माघ शुक्ल नवमी उपरांत दशम्यां श्रीसम्मेतशिखरे श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्रचरणपादुका कारितं प्रतिष्ठिता । उ । हितवल्लभगणिभिः श्रीखरतरगच्छे। बालोचरनगरे रायधनपतसिंहस्य चैत्ये । श्रीः ।
(२४८२) गिरिराज-पट्टः
॥ शुभ संवत् १९५१ का मिती माघ शुक्ल ९ उपरांत दशम्यां । शु। तिथौ श्रीऋषभदेवस्वामीचरणपादुका श्रीसंघेन कारिता प्रतिष्ठिता उपाध्याय हितवल्लभगणिभिः श्रीखरतरगच्छे श्रीमुर्शिदाबाद वास्तव्य राय धनपतसिंहस्य चैत्यप्रतिष्ठायां स्वश्रेयोर्थं ।
(२४८३) दीपचन्द्र - पादुका
उपाध्यायजी श्री १०८ श्रीदीपचन्द्रजी हरराजजी विक्रम संवत् १९५१ को पं० दीपचन्द्रजी .. ३० के देवलोक ..श्रीजिनफतेन्द्रसूरिजी
(२४८४ ) शिलालेख:
(१) ॥ संवत् १९५२ रा शाके १८१७ मासोत्तममासे ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे तिथौ दशम्यां रविवारे शूलाग्रामस्थः मालूगोत्रे सा० । कालू
(२) राम रतनचंद खरतरगणोपासकेन कारापितं जिनभवने चंद्रप्रभुबिंबं स्थापितं खरतरगच्छे क्षेमकीर्त्तिशाखायां विद्वद्रामचंद्रगणि
(३) तत्शिष्य पं प्र । उदयचंद्रगणिः तच्चरणांतेवासी उपाध्याय नेमिचंद्रेण प्रतिष्ठितं जिनभवनं स्थापितं बिंबं च पं० । श्यामलाल साकम्
(२४८५ ) जीर्णोद्धार - लेख :
श्रीदादाजी महाराज के मंदिर जी का जीरणउद्धार । लक्ष्मीचंद राखेचा की लड़की छोटी बीबी की तरफ से बनाया । भादो सुदि ४ शुक्रवारे सम्वत् १९५२
( २४८६ ) ताम्र-यंत्रम्
॥ सं० १९५२ का माघ सुदि २ गुरुवासरे यंत्र प्रतिष्ठापितं बृ० । भ० । श्रीजिनमुक्तिसूरिभिः । रतलाम नगरे कारितं । पं० प्र० सरूपचंदजी स्वश्रेयोर्थं ॥
(२४८७) जिनकुशलसूरि - पादुका
संवत् १९५२ का मिति माघ शुक्ला ३ तिथौ गुरुवासरे जं० यु० प्रधान खरतरभट्टारक दादाजी २४८१. शुभस्वामी की देहरी, मधुवन, सम्मेतशिखर: भँवर ०
२४८२. शुभ स्वामी की देहरी, मधुवन, सम्मेतशिखर: भँवर ० २४८३. दादाबाड़ी, नागपुर:
२४८४. चन्द्रप्रभ जिनालय, शूलाबाजार, मद्रासः पू० जै०, भाग २, लेखांक २०६४ २४८५. चन्द्रप्रभ जिनालय, चन्द्रावती: पू० जै०, भाग २, लेखांक १६८४ २४८६. तपागच्छ का उपाश्रय, जैसलमेर : पू० जै०, भाग ३, लेखांक २४९३ २४८७. नया मंदिर, जयपुर: प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६४९
४३०)
खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:
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