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विश्वप्रेम-प्रचारिका, समतामूर्ति पूज्या श्री विचक्षणश्री जी महाराज साहब
मुस्कान जिनकी मन्द मन्द, कर लेती जो मनोहरण, करुणापूरित नयन जिनके, शान्त औ उपशान्त वदन। अध्यात्म मार्गदर्शक हैं, जिनके मधुर-मधुर वचन, हे विलक्षण गुरु विचक्षण, लाख-लाख तुम्हें नमन।।
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