Book Title: Kalyan 1958 03 04 Ank 01 02
Author(s): Somchand D Shah
Publisher: Kalyan Prakashan Mandir

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Page 28
________________ : 30 : inion ती : जन्म सफल थयो माहरो, ७-महामेघवाहन महाराजाखारवेलका विशाल हवे मुझने हो स्वाभि पार उतार ॥६॥ शिलालेख इन सबकी पुष्टि कर रहा है. क्योंकि इस शिलालेख और हेमवंत पट्टावलिसे पाया कलश जाता है कि भगवान् महावीरके समय सम्राट इम श्री पद्मप्रभ प्रभु पास स्वामि, श्रेणीकने खण्डगिरी पर भगवान ऋषभदेवका मन्दिर बनवाया था। पुन्य सुगुरु प्रसाद ए ॥ -८-मथुराके कंकालि टीलासे कई मूर्तियां मुलगी अरजुनपुरी नगरी, स्तुप मिला हैवह भी इतना ही प्राचीन है कि __ वर्धमान सुप्रसाद ए ॥ जितना खारवेलका शिलालेख हैं इत्यादि । - गच्छरान जिनचंदमूरि, ९-खास कर स्थानकवासी समाजके अग्रगुरु जिन हंस सूरीश्वरो । गण्य नेता साघु सन्तबालजीने धर्मप्राण गणि साकलचंद विनय वाचक, लोकाशाहकी लेखमालामें सम्राट अशोकके समय तथा साधु मणिलालजीने वीरकी दूसरी शताब्दीमें समयसुन्दर सुख करो ॥१॥ मूर्तिपूजा स्वीकार करली है। १-भगवान महावीरदेव अपने दीक्षाके सातवे इसी प्रकार चन्द्रगुप्त और भद्रबाहु आचार्यके वर्ष मुडस्थलमें पदार्पण किया उस समय राजा समयकी मूर्ति कविवरके समय मिली हो तो नन्दीवर्धन आपके दर्शनार्थ आया जिसकी स्मृतिमें इसमें संदेह ही क्या हो सकता है ? राजाने अक मन्दिर बमाया उसके खण्डहर आज अति हर्षका विषय था जब इस प्राचीन भी मिल सकते है। मंदिरका पाटोत्सव एवं ध्वजाभिषेक प्रति वर्ष २-महाराजा उदाईकी पट्टरानी प्रभावतीके महा सद ६ को होता था और जैन एवम् जैनेअन्तैवर गृहमें भगवान् महावीरदेवकी मूर्ति थी तर हजारोंकी संख्यामें इस शुभ दिन पर यहां राजा बीना बजाता और रानी त्रिकाल पूजा कर अकत्रित होते थे । खेद है कि कुछ वर्षोंसे यह नृत्य करती थी। उत्सव बन्द हो गया है। मन्दिरजीकी पूजाकी ३-कच्छ भद्रेश्वरके मन्दिरकी प्रतिष्ठा वीरात् व्यवस्था इसी गांवके निवासी श्रीयुत् घेवरचन्दजी २३ वर्ष सौधर्माचार्यके करकमलोंसे हुई, वह साहबके पुत्र श्रीयुत् फकीरचन्दजी साहब करते मूर्ति और इसका शिलालेख आज भी विद्यः रहे है। (आज कल दारजीलिंग जिलाका मान हैं ।। अधिकारी गांवमें रहते है ) । ४-नागोरके बडा मन्दिरमें बहुत सी सर्व- इधर हाल ही में दिल्ली में होनेवाले जैन धातुमय मूर्तियां है । जिसमें मेक मूर्ति पर वी. गोष्टीमें इस मन्दिरने अक अद्वितीय स्थान प्राप्त सं. ३२ का शिलालेख खुदा हुआ आज भी दृष्टि- किया था जिसका विवरण "धर्मयुग" वर्ष ७ गोचर होता है। अंक ४८ रविवार २५-११-५६ में वो दैनिक नव. ५-आचार्य रत्नप्रभसूरिके करकमलोंसे वी. भारत टाइम्स वो गौरखपुरके प्रकाशित "कल्याण" सं. ७० वर्षो में उपकेशपुरमें कराई प्रतिष्ठाका तीर्थांकमें दिया हुआ है। मन्दिर मूर्ति इस समय भी विद्यमान है। श्री समयसुन्दरजी गणी कृत स्तवनसे जैसा ६-कोरंटा नगरका महावीर मन्दिर भी मालूम होता है कि इस मन्दिरमें किसी समआचार्य रत्नप्रभसूरिके समयका है। यमें ६५ प्रतिमाओं थी । समय परिवर्तनशील है

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