Book Title: Kalyan 1958 03 04 Ank 01 02
Author(s): Somchand D Shah
Publisher: Kalyan Prakashan Mandir

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Page 29
________________ : या : भार्य-धाम : १८५८ : 31: उत्थान व पतनका चक्र घूमता रहता है । मुग- मन्दिरका जीर्णोद्धार करा कर इसकी स्थिति लोंके अत्याचारसे इन प्रतिमाओंमे से अधिकांश बढाई थी। काफी प्रतिमाओं खेतोंमें गाड दी गई और ४-विक्रमकी सोलहवीं शताब्दीके अन्त में जिनका अभी तक कोई पता नहीं मिल सका। बीकानेरके लोग यहां बरातमें आओ थे उस अब मन्दिरमें सिर्फ ४ प्रतिमाओं रह गई है। समय इस मन्दिरकी जीर्ण हालत देख कर अक मूलनायक श्री धर्मनाथ प्रभु, भेक सवे इसका जीर्णोद्धार कराया। धातुकी वो दूसरी मंजिल पर भगवान श्री मन्दिरका ५ वां जीर्णोद्धार सम्वत् १९८२ में पार्श्वनाथ की, चौथी प्रतिमा केक खेतमें मिली गांगांणी निवासी श्रीमान् घेवरचन्दजी छाजेड जो गत महा सुद ६ सं. २०१३ के उत्सवके दिन मेहताके प्रयत्नसे अखिल भारतीय जैन श्री संघकी । अभिषेक करवाकर मेहमानरूपमें बिराजमान कर र आर्थिक सहायतासे हुआ था जिसकी रिपोर्ट दी गई है। [वि० संवत् १९७६ से सं० १९९३ तक की ] इस मन्दिरका समय २ पर जीर्णोद्धार होना, सन् १९३७ ई० में प्रकाशित हो चुकी है। पुरानी ख्यातोंसे पाया जाता है, जैसे कि :- इस मन्दिरके दर्शनार्थ आनेवाले बन्धुओंको १-विक्रमकी नौवीं शताब्दीमें उपकेशषरके जोधपुरसे दोपहरके ३ बजे भोपालगढ जानेवाली श्रेष्ठिवर्य बोसटने इस मन्दिरका जीर्णोद्धार कर- मोटरसे जाना चाहिये । मोटर मान्दरजीके पास वाया था । ही खडी होती है । वहांसे दिनके ११ बजे मोटर जोधपुरके लीजे रवाना होती हैं। वहां २-विक्रमकी बारहवीं शताब्दीमें नागपुरक ठहरनेके लिये कुछ कोठडिये बनी हुई है। . भूरंटोंने इस मन्दिरका स्मरणकाम करवा कर पुण्य उपार्जन किया था। -: पत्रव्यवहार करनेका पता :__३-विक्रमकी चौदहवी शताब्दीमे ओसियांके भण्डारी मिश्रीमल आदित्य गान गोत्रीय शाह सारंग सोनपालने इस खैरादियोंका मोहल्ला जोधपुर (राजस्थान) ६० ३५ M+ ना १२ मा भुपम छ. ૧ માસ ૩ માસ ૬ માસ ૧૨ માસ ૧ પેજ ૨૫ १०० ૧૫૦ १/२ , १५ १०० १/४ , १० २५ ७ १५ ટાઈટલ પેજ ૨ જી રૂા. ૩૫, , bua ३ ३३. 3. ટાઈટલ પેજ ૪ થું રૂા. ૪૦, એક જ વખતના समा:- या न मर : larg (सारा) ४० ૨૫ કલ્યાણ માસિક વાર્ષિક લવાજમ રૂ. ૫–૮–૦ પટેજ સાથે

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