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१० कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज Kuhaons बताये हैं।
इस प्रकार अंग्रेजी में पुरातत्त्वविदों द्वारा बताये नामों के निम्न शब्द विन्यास हुये- (1) Kangho, (2) Kanghon, (3) Kuhaon, (4) Kahaon, (5) Kahawan, (6) Kahawam, (7) Kahaun, (8) Kahaum, (9) Kahong, (10) Kahaong. हिन्दी में जैन शिलालेख संग्रह में नाम कहायँ, भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ में नाम कहाऊँ एवं सहारा इण्डिया में कहांव नाम लिखा है । हम इस पुस्तक में ग्राम का नाम कहाऊँ लिख रहे हैं। - शिलालेख में प्रिसेप व कनिंघम ने ग्राम का नाम 'ककुभ:रति' पढ़ा है । भगवानलाल इन्द्रजी पण्डित एवं बाद के विद्वानों ने इस ग्राम का नाम 'ककुभः' पढ़ा। पण्डित बलभद्र, भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ में हिन्दी विश्वकोष का संदर्भ देकर कहते हैं कि ककुभ का अर्थ है कुटज जाति के पुष्प, अर्जुन वृक्ष । उन्होंने इस जगह को 'ककभ वन' बताया । कनिंघम ने भी ककुभरति से ककुभ, ककुभवन कहावन इस प्रकार नामों की उत्पत्ति दर्शाई है । 'रति' शब्द का अर्थ नालन्दा विशाल शब्द सागर. (१९५०) पृष्ठ ११५७ में दिया है-जैन मतानुसार वह कर्म जिसका उदय होने से किसी रमणीक वस्तु से मन प्रसन्न होता है । इस प्रकार ‘ककुभ:रति' का अर्थ हुआ अर्जुन के वृक्षों का वन जिससे मन प्रसन हो। ,
साहित्य में भगवान् पुष्पदन्त के दीक्षा एवं केवलज्ञान का वर्णन है । तिलोयपण्णत्ति (ई. सन् ५४०-६०९) की गाथा ४/६५२ एवं ४/६८६ में यह वर्णन है । भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ भाग १ (१९७४) पृष्ठ १७१ में इसे 'पुष्पक वन' पढ़ा गया है। जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग २ (१९७१) पृष्ठ ३८२-३८३ में इन गाथाओं में नाम "पुष्प वन' पढ़ा गया है । महापुराण (ई. सन् ८००-८४८) में, जैसा जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश के उपरोक्त संदर्भित पृष्ठों पर लिखा है दीक्षा का 'पुष्पक वन' एवं केवलज्ञान का 'पुष्प वन' नाम बताया है । पुष्पक शब्द का अर्थ संस्कृत-शब्दार्थ-कौस्तुभ (१९७७) पृष्ठ ७२६ पर 'फुल', 'लोहे का प्याला' कहा है । आर.पी.एन. सिन्हा की पुस्तक 'अवर ट्रीज' भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित (१९७७) पृष्ठ ४७ पर अर्जुन वृक्ष का दूसरा नाम 'क्वीन्स फ्लावर' लिखा है एवं इसे अति सुन्दर वृक्षों में कहा गया है । डॉ० एम० एस० रन्धावा की पुस्तक 'फ्लावरिंग ट्रीज' नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित (१९९५) पृष्ठ ९३ पर अर्जुन के फूल को प्याले की शकल का बताया है । इस प्रकार इस स्थान का नाम 'ककुभ:रति', 'ककुभ ग्राम', 'ककुभ वन', 'पुष्पक वन' एवं 'पुष्प वन' पर्यायवाची हुये।
उपरोक्त दोनों पेड़ों की पुस्तकों में अर्जुन पेड़ के पुष्पित होने का समय अप्रैल से जून तक दिया है । भगवान पुष्पदन्त स्वामी के दीक्षा का दिन पौष शुक्ला एकादशी
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