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कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज
(३) तालाब-फ्रांसिस बुकनान ने दो तालाब बताये हैं । एक पुरायिन ताल या नेलुंबियम पत्तियों का तालाब जो गाँव के पास है, दूसरा तालाब-करनाई-छोटे मन्दिर के पास है ।
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लिस्टन ने किसी तालाब का वर्णन नहीं किया है ।
कनिंघम ने बतलाया है कि यहाँ चार तालाब हैं। उनका कहना है कि ये तालाब कहलाते हैं । यहाँ के गरों के नाम हैं - ( १ ) पुरिना गर- गाँव के उत्तर स्थित, (२) करहही गर-इस टीले के उत्तर-पश्चिम में, (३) झकराहि गर - उत्तर-पूर्व दिशा में, जिसे सोफा गर भी कहते हैं, (४) असकामिनि या अकासकामिमि गर- गाँव के पूर्व दिशा में है । कनिंघम के अनुकूल इसे ही बुकनान ने करनाई कहा है । कनिंगहम का अनुमान है कि इसी गर से इन सब ऐतिहासिक भवनों हेतु ईंटें बनीं होगी एवं निर्माण में प्रयुक्तं मिट्टी ली गयी होगी ।
. यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि 'राष्ट्रीय सहारा' ने एक लेख छापा जिसकी प्रति 'तीर्थ वंदना' के अप्रैल, २००१ के अंक में छपी, जो परिशिष्ट - १७ पर है । इस लेख में लिखा है कि जो ५ फुट ऊँची पार्श्वनाथ की खड्गासन मूर्ति खण्डित अवस्था में है अब नये मन्दिर की पश्चिम की दीवार में जड़ी गयी है । उसको गाँववाले 'सोफा बाबा' कहकर पुकारते हैं । यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस मन्दिर के पास के गर का एक नाम कनिंगहम ने 'सोफा गर' बताया है ।
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इस स्थान की कई यात्राओं में मैंने देखा कि स्तम्भ के पास 'गर' (तालाब) में जब पानी कम था तब एक मोटी मजबूत दीवार दिख रही थी । श्री आर०बी० पाण्डे कहते हैं कि स्तम्भ के पूर्व दिशा में एक तालाब है जो सही नाप-जोख में है । श्री लिस्टन ने तो शिलालेख की अन्तिम पंक्ति के अर्थ निकाले कि पास में एक बावरी स्तम्भ के साथ बनाई गई है। स्पष्ट है यह स्तम्भ की शोभा हेतु कोई पक्की बावरी बनाई गई होगी ।
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(४) स्तम्भ के समक्ष मन्दिर - राजबली पाण्डेय ने स्तम्भ के सामने मन्दिर होने के दो तर्क दिये हैं (१) उन्होंने कुछ टूटी-फूटी मूर्तियाँ किसी पुराने ईंटों के ढेर पर रखी देखी । उनके अनुकूल ये अवश्य ही उन मूर्तियों के टुकड़े थे जो स्तम्भ के सामने के मन्दिर में स्थापित की गई थीं । (२) इस प्रकार के स्तम्भ मंदिर के सामने ही बनाये जाते हैं । यह स्तम्भ भी एक मन्दिर के समक्ष होगा, जिस मन्दिर का दरवाजा पूरब की तरफ होगा ।
इस क्षेत्र का निरीक्षण करने वाले सबसे पहले पुरातत्वविद् बुकनान ने लिखा है कि यह ग्राम एक मलवे के ढेर पर बसा है । यह मलवे का ढेर किसी मंदिर के ध्वस्त होने से बना लगता है । कनिंघम कहते हैं कि मैं समझता हूँ कि यह स्तम्भ किसी मन्दिर
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