Book Title: Kahau Stambh evam Kshetriya Puratattv ki Khoj
Author(s): Satyendra Mohan Jain
Publisher: Idrani Jain

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Page 69
________________ कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज परिशिष्ट - १० जैन शिलालेख संग्रह :, भाग २ १६५२, पृष्ट ५६ . कहायूँका लेख ६३ कहायूँ-संस्कृत (गुप्तकाल १४१ वां वर्ष = ४६१ ई०सं०) । सिद्धम्। (१) यस्योपस्थानभूमिर्नृपतिशतशिरःपातवातावधूता (२) गुप्तानां वंशजस्य प्रविसृतयशसस्तस्य सर्वोत्तमद्धेः (३) राज्ये शक्रोपमस्य क्षितिपशतपतेः स्कन्दगुप्तस्य शान्ते (४) वर्षे त्रिंशद्दशैकोत्तरकशततमे जयेष्ठमासि प्रपन्ने।।१।। (५) ख्यातेऽस्मिन् ग्रामरत्ने ककुभ इति जनसाधुसंसर्गपूते (६) पुत्रो यस्सोमिलस्य प्रचुरगुणनिधेट्टिसोमो महात्मा (७) तत्सूनूरुद्रसोम (:) प्रथुलमतियशा व्याघ्र इत्यन्यसंज्ञो (८) मद्रस्तस्यात्मजोऽभूद् द्विजगुरुयतिषु प्रायशः प्रीतिमान् यः।। (६) पुणयस्कन्धं स चक्रे जगदिदमखिलं संसरद्वीक्ष्य भीतो (१०) श्रेयोऽर्थं भूतभूत्यै पथि नियमवतामर्हतामादिकर्तृन् (११) पञ्चेन्द्रांस्थापयित्वा धरणिधरमयान् सन्निखातस्ततोऽयम् (१२) शैलस्तम्भः सुचारुर्गिरिवरशिखरायोपमः कीर्तिकर्ता ।।३।। (इस शिलालेखमें, जो कि गुप्तकाल के १४१ वें वर्ष का है, बताया गया है कि किसी भद्र नाम के व्यक्ति ने, जिसकी कि वंशावली यहां उसके प्रपितामह सोमिल तक गिनाई है, अर्हन्तों (तीर्थंकरों) में मुख्य समझे जाने वाले, अर्थात् आदिनाथ, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्व, और महावीर, इन पांचों की प्रतिमाओं की स्थाना करके इस स्तम्भको खड़ा किया। लेखकी ११ वीं पंक्ति के 'पञ्चेन्द्रान्' से इन्हीं पांच तीर्थंकरों से मतलब है।) (इण्डियन एण्टिक्वेरी, जिल्द १०, पृ० १२५-१२६) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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