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कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज
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हुआ था, जिनका जन्म यहां से १६ किमी. दूर खुखुन्दू (काकंदी) में हुआ था।
निर्माण के बाद से यह मंदिर भी उपेक्षित-सा है। इस मंदिर की प्राप्ति एवं स्तम्भ पर भी जैनमूर्ति का अंकन यह साफ इंगित करता है कि यह क्षेत्र दीर्घावधि तक जैन मतावलंबी था।
मंदिर के संरक्षक भरत कुशवाहा के अनुसार मंदिर से थोड़ी दूर पर स्थित पोखरे के पानी के सूख जाने पर उत्खनन कर जब मिट्टी निकाली जाती है तो कई प्राचीन वस्तुएं सामने आती हैं। स्पष्ट है कि व्यापक ज्ञान एवं क्षेत्र की प्राचीनता के लिए यहां पुरातत्व विभाग को ध्यान देना चाहिए।
(राष्ट्रीय सहारा से साभार)
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