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कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज १५ (१) वर्ष २००१ में इस स्थल का निरीक्षण श्रीराम सिंह सचिव उत्तर प्रदेश शासन राष्ट्रीय एकीकरण विभाग एवं श्री मुक्त ज्ञानानन्द जी जो एक अनुपम मर्मज्ञ एवं वैष्णव सन्त हैं, ने किया । उनके समक्ष इस गांव के बाल, वृद्ध, सामाजिक कार्यकर्ता एवं जनता इकट्ठी हुई । उन्होंने अपने पूर्वजों के अनुभवों से बताया कि स्तम्भ इतना ऊँचा था कि हाथ ऊपर करके कठिनाई से पार्श्वनाथ स्वामी के चरण छू पाते थे। उनके पूर्वज इन पार्श्वनाथ मूर्ति के, केवल चरणों में सिंदूर लगाते थे । अब पूरी मूर्ति पर सिंदूर लेपते हैं। .. (२) भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ में सम्भावना व्यक्ति की गई है कि सुल्तान अलाउद्दीन के सिपहसालार मलिक हब्बस ने उस क्षेत्र का विनाश किया होगा जैसा कि उसने श्रावस्ती आदि निकटवर्ती तीर्थों को विनाश किया । वैसे भी इस क्षेत्र के इतिहास से यह स्पष्ट है कि किसी आततायी ने ही यहाँ विनाश किया । कनिंघम के अनुसार यह क्षेत्र १२०० x ४०० फुट के क्षेत्रफल में फैला था । इतिहास यह भी बताता है कि आक्रमणकर्ता केवल लुटेरे ही नहीं, मूर्ति भंजक भी थे। उन्होंने आस-पास के सभी मंदिर ध्वस्त कर दिये परन्तु स्तम्भ के चौकोर भाग की मूर्ति को एवं उनके चरणों में बनी मूर्तियों को नहीं तोड़ पाये । स्पष्ट है कि यह मूर्ति आदमी की ऊँचाई से ऊपर रही होगी।
(३) प्रिंसेप के अनुसार इस स्तम्भ के निर्माणकर्ता भट्टि परिवार के वे लोग हो सकते हैं जिन्होंने इलाहाबाद का स्तम्भ बनाया, जो गुप्त वंश में प्रमुख मंत्री के पद पर थे व काफी धनी व प्रभावशाली थे । अगर उनका सम्बन्ध इलाहाबाद के स्तम्भ के निर्माताओं से न भी हो तो भी स्पष्टत: स्तम्भ निर्माता मद्र अवश्य धनी, धर्मनिष्ठ एवं सुरुचिपूर्ण व्यक्ति होगा । वह अपने आराध्य देव पार्श्वनाथ को अवश्य ही बच्चों की पहुँच से ऊपर बैठायेगा।
. (४) कनिंघम ने लिखा है कि यह टीला पास के खेतों से ६ फीट ऊँचा है। इस ६ फुट ऊँचाई में कुछ ऊँचाई यहाँ के मंदिरों एवं भवन के मलवों से बनी होगी। समझा जा सकता है कि खेतों से १ हाथ ऊँचाई पर मंदिरों एवं स्तम्भ की कुर्सी होगी व शेष साढ़े चार फुट मलवा । इस प्रकार उस स्तर से जो बुकनान एवं कनिंघम आदि पुरातत्वविदों ने देखा, लगभग ४.५ फुट नीचे स्तम्भ निर्माण के समय फर्श होगा ।
(५) बुकनान से आज तक किसी भी पुरातत्वविद ने इस क्षेत्र की खुदाई नहीं की एवं 'टैस्टपिट' भी नहीं लगाया । 'टैस्टपिट' लगाकर गुप्तकाल के फर्श का स्तर सही-सही ज्ञात हो सकता है।
(६) कनिंघम ने स्तम्भ का नाप बड़े करीने से लिया एवं लिखा । उनके अनुकूल स्तम्भ का गोल भाग-३ फुट ३ इंच ऊँचा है । उसके नीचे १६ पहल का भाग
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