Book Title: Kahau Stambh evam Kshetriya Puratattv ki Khoj
Author(s): Satyendra Mohan Jain
Publisher: Idrani Jain

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Page 25
________________ २० कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज कोई अन्य पशु अपने उग्र रूप में प्रदर्शित किया गया होगा जिसकी ऊँचाई २.१/२ फुट से ३ फुट से अधिक नहीं रही होगी। . (४) भगवानलाल इन्द्रजी पण्डित ने लिखा है कि ६ इंच ऊँचा लोहे का छूटा स्तम्भ के शीर्ष पर गोल भाग में गड़ा है जिस पर कोई जैन धार्मिक प्रतीकं लगाया गया होगा। उन्होंने एलोरा की इन्द्रसभा में बने सुन्दर एक पत्थर के स्तम्भ की तुलना इस स्तम्भ से की है । इन्द्रसभा के इस स्तम्भ के शीर्ष पर चौमुखी चार जिनों की मूर्ति बनी है। उन्होंने आगे कहा है कि इसी प्रकार बौद्ध अपने स्तम्भ शीर्ष पर एक या चार शेर बैठाते हैं एव शैव त्रिशूल स्थापित करते हैं । इन्द्रसभा के इस स्तम्भ का चित्र, इन्द्रसभा का प्लान एवं संक्षिप्त विवरण, स्पष्टता हेतु परिशिष्ट-१४ पर दर्शाया हैं। यह विवरण जेम्स फरग्युसन एवं जेम्स बर्गीज की 'केव टैप्पिलस ऑफ इण्डिया' जो १८८० में प्रथम बार छपी व १९९९ में दिल्ली से पुनः मुद्रित हुई, से लिया गया है। इन विद्वान् लेखकों ने एलोरा का यह स्तम्भ ८वीं शताब्दी का बताया है । भगवानलाल इन्द्रजी पण्डित ने 'कहाऊँ' के इस स्तम्भ के 'कैपिटल' को 'पैरीपोलीटियन टाइप' का कहा है एवं जेमस फरग्युसन की पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ इण्डियन एवं ईस्टर्न आर्किटेक्चर' का संदर्भ दिया हैं । मैं इस पुस्तक के संदर्भ को सुलभता हेतु परिशिष्ट संख्या-१६ पर संलग्न कर रहा हूँ। यह अध्ययन विशेष रूप से अशोक स्तम्भ एवं उसके बाद के बुद्ध स्तम्भों से सम्बन्धित है । जैनस्तम्भों के अलग से अध्ययन की आवश्यकता इस प्रकार प्रतीत होती है। (५) जोन फेदफुल फ्लीट का कहना है कि स्तम्भ के शीर्ष पर एक खूटा है। इस खूटे पर लगी अटारी ध्वस्त हो चुकी है। ___(६) राजबली पाण्डेय का कहना है कि स्तम्भ के शीर्ष पर कोई जैनधर्म का प्रतीक चिन्ह होगा जो अब ध्वस्त हो चुका है। (७) जैसा मैंने स्तम्भ की ऊँचाई के शीर्षक में लिखा है वर्ष २००१ में 'कहाऊँ' में निर्मित नये जैन मंदिर में अतिथियों के समक्ष ग्रामवासी एकत्र हुये थे । उन्होंने बताया कि इस स्तम्भ के ऊपर सोने का कलश था, जो किसी ने ऊपर चढ़कर चोरी की नियत से उतार लिया व वो चोर उसे लेकर भागना चाहा परन्तु स्तम्भ के समीप के कुयें में गिरकर मर गया । यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट १८६१-६२ में लिखा है कि स्तम्भ के दक्षिण-पूर्व में एक पुराना कुआँ था जो कुछ समय पूर्व भरा गया था। यह कुआँ १८०७-१३ में बुकनान ने देखा था। उपरोक्त पुरातत्ववादियों में प्रिसेप एवं कनिंघम ने ऊपर शेर अथवा अन्य कोई पशु होने की सम्भावना बताई है । पुन: आततायी आक्रमण से यहाँ विध्वंस हुआ। वे लोग लुटेरे एवं मूर्ति भंजक थे। उन्होंने ऊपर का पशु तोड़कर गिरा दिया एवं मूर्तियाँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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