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कारण का बोध, उपदेश व सबका सम्यक्त्व-ग्रहण । ५. उपगृहन का दूसरा आख्यान । इन्द्र की सभा में राजा श्रेणिक के सम्यकत्व की
प्रशंसा । परीक्षा निमित्त एक देव का आगमन व राजा को आते देख मछली मारते हुए मुनि का रूप धारण ।। राजा और मुनि का वार्तालाप । लोगों का दिगम्वर धर्म पर प्राक्षेप तथा राजा
का निदर्शन द्वारा उस आक्षेप का निराकरण । ७. देव का संतोष व राजा की प्रशंसा तथा धर्म-प्रभावना । ८. स्थितिकरण की कथा। श्रेणिकपुत्र वारिषेण का श्मशान में प्रतिमायोग ।
विछुच्चर चोर का गणिका सुन्दरी को आश्वासन । ६. विछुच्चर चोर द्वारा रानी चेलना के हार का अपहरण व वारिषेण के समीप
क्षेपण । राजपुरुषों द्वारा वारिषेण पर उपसर्ग।
वारिषेण के उपसर्ग का धर्म-प्रभाव से निवारण । ११. वारिषेण द्वारा मित्र को दीक्षित कराना व उसके चलायमान होने पर स्थिति-करण । २७
वात्सल्य के दृष्टान्त रूप विष्णुकुमार मुनि की कथा। उज्जयिनी के राजा श्रीधर्म के बालि आदि चार मंत्री। अकंपन मुनि का सात सौ मुनियों सहित प्रागमन । मौनोपवास का प्रादेश, किन्तु पीछे पाये हुए श्रुतसागर मुनि द्वारा नगर-प्रवेश । उधर राजा ने महल पर से लोगों को यात्रा पर जाते देख बलि
मंत्री से पूछा। १३. मंत्री ने कहा कि लोग श्रमण संघ के दर्शन को जाते हैं। राजा ने भी जाने की
इच्छा प्रकट की। बलि ने वचन ले लिया कि वहां राजा मौन रहें और
वार्तालाप वही करे। १४. वहां जाकर बलि ने प्रश्न किया कि श्रमण धर्म का उपदेश कीजिये। किन्तु
किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया। तब वे सब वापिस आये । नगरद्वार पर
श्रुतसागर मुनि मिले। १५. मुनि ने बलि प्रादि चारों मंत्रियों को बाद में पराजित किया। १६. राजा ने प्रसन्न हो श्रावक-व्रत लिये। उधर मुनि के विजय की बात सुनकर गुरु
ने माशंका से उस मुनि को पुनः वहीं जाकर प्रतिमा-योग का आदेश दिया। १७. उधर चारों मंत्री अपमान से क्रुध ही शस्त्र से सुसज्जित होकर मुनियों को
मारने निकले । श्रुतसागर मुनि को देखकर उन्होंने उन पर प्रहार किये । किन्तु देव ने उन्हें की लित कर दिया। यह देख लोगों ने उनको निन्दा की और राजा ने उन्हें राज्य से निकाल दिया । कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर के राजा पहापद्म । उनके दो पुत्र पद्म और विष्णु । पद्म को राज्य देकर महापद्म ने दूसरे पुत्र सहिस दीक्षा ले ली । बलि आदि चार मंत्री वहीं पाये। उनकी बुद्धि देख राजा ने उन्हें मंत्री बना लिया। बलि ने सिंहरथ पर विजय पायी। अतः राजा ने उससे वर मांगने को कहा।
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