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नरजन्म की दुर्लभता का नवमां दृष्टान्त — युग्म । बैलगाड़ी के युग्म ( जून ) का एक समिला ( सैला ) पूर्व समुद्र में गिरा और दूसरा पश्चिम समुद्र में । उनका पुनः संगम कितना दुर्लभ उससे अधिक दुर्लभ नर-जन्म | नरजन्म की दुर्लभता का दशवां दृष्टान्त - परमाणु । चक्रवर्ती के चार हाथ लम्बे दण्ड - रत्न का चूर्ण करके उसके परमाणु सर्वत्र बिखर गये। उनका पुनः दण्डाकार संयोग जितना दुर्लभ, उससे अधिक दुर्लभ नरजन्म । अतः ऐसे दुर्लभ नरजन्म को पाकर व्यर्थं न खोने तथा दर्शन - ज्ञान और चरित्र के अभ्यास का उपदेश । बालक समान माया - मृषा को त्याग कर श्रालोचना का उपदेश । प्राख्यानकोशाम्बी पुरी, जयपाल राजा, जयमती रानी, यमदंड कोटपाल, सागरदत्त सेठ सागर, दत्ता सेठानी, समुद्रदत्त पुत्र । दूसरा वणिक् वामन, सोमा गृहिणी, सोम पुत्र । सोम और समुद्रदत्त की मित्रता । एक दिन वामन द्वारा समुद्रदत्त को मारकर प्राभूषण लेकर घर में गड्ढा खोदकर गाड़ देना । माता पिता की श्राकुलता । वामन के पुत्र सोम का उनके घर श्राना ।
१७. सेठानी द्वारा प्यार पूर्वक सोम से प्रश्न व सोम द्वारा वास्तविकता का राजा द्वारा प्राणदण्ड । बालक के समान
प्रकटन । श्रारक्षक द्वारा शोध व सत्य प्रकट करना प्रालोचन का गुण ।
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लगे । वे कदाचित् पुन: एकत्र किये जा सकें, किन्तु नरजन्म उससे भी दुर्लभ । नरजन्म की दुर्लभता का पांचवां दृष्टांत - रत्नकथा । भरत श्रादि चक्रवर्तियों को देवों द्वारा एक एक चूडामणि रत्न दिया गया। उन देवों चक्रवर्तियों व रत्नों का एकत्रीकरण जितना दुर्लभ उससे अधिक दुर्लभ नरजन्म | अथवा सागरदत्त वणिक् का सिंहलद्वीप गमन, माणिक्य प्राप्ति, जलयान से श्राते समय समुद्र में रत्न- पात । उस रत्न की पुनः प्राप्ति सदृश नर-भव की दुर्लभता । नरजन्म की दुर्लभता का छठा दृष्टान्त - स्वप्न । दरिद्री ने स्वप्न में राज्य विलास पाया । किन्तु यथार्थ राज्य प्राप्ति के समान नर-जन्म दुर्लभ
नरजन्म की दुर्लभता का सातवाँ दृष्टान्त - चन्द्रकवेध | माकंदी पुरी, द्रौपदी का स्वयंवर | चन्द्रकवेध द्वारा अर्जुन का द्रौपदी परिणय । उसी समान मनुष्य भव दुर्लभ । अथवा - - सुभौम चक्रवर्ती के समय के जीव, यक्षदेव, व समस्त वस्तुस्थिति का पुनः मेलापन जितना दुर्लभ, उससे अधिक दुर्लभ मनुष्य जन्म । नरजन्म की दुर्लभता का आठवां उदाहरण - कूर्म कथा | स्वयंभूरमण समुद्र, चक्रवर्ती के चर्म रत्न से श्राच्छादित । काने कच्छप ने एक छिद्र में से सूर्य की रश्मि देखी । उसे दिखाने वह अपने परिवार को लाया । वही छिद्र पुनः मिलना जितना कठिन उससे अधिक दुर्लभ नर-भव ।
कडवक
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संधि - १०
मिथ्या भाषण का दुष्परिणाम । संघश्री की कथा । प्रान्ध्र देश, श्रीपर्वत के पश्चिम में वल्लूरपुर, यशोधर राजा, वसुंधरी रानी, तीन पुत्र । धन की अस्थि
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