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( ३८ ) १७. दुर्जन संसर्गवोष पर घूक संगत हंस की कथा । मगध मंडल, पाटलिपुर नगर
प्रजापाल राजा । गोपुर निवासी उल्लू की राजहंस से मैत्री । राजा व
सामंत उसी के वशीभूत होने की झूठी आत्म-प्रशंसा व हंस के प्रातिथ्य का ग्रहण । १८. उल्लू का हंस को अपने घर निमंत्रण । प्रभाव दिखलाने के लिये राजा का
विजय यात्रा में अपशकुन द्वारा बारबार विघ्न होने पर शब्द-वेधी बाण द्वारा निर्दोष हंस की मृत्यु ।
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संधि-८
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कडवक १. सज्जन-संसर्ग के गुणों पर हरिषेण चक्री की कथा । जम्बूद्वीप, भारतवर्ष, अंगदेश,
काम्पिल्यपुर, हरिकेतु नरेन्द्र, बप्पा रानी, हरिषेण पुत्र । दूसरी रानी लक्ष्मीमती। बप्पारानी द्वारा फाल्गुण में नन्दीश्वर पर्व संबंधी रथयात्रा-महोत्सव की योजना।
लक्ष्मीमती द्वारा उसका राजाज्ञा से निषेध । २. बप्पा रानी द्वारा वेणिबंध तथा रथयात्रा निकलने तक अन्नजल का त्याग ।
राजपुत्र को उसकी जानकारी। ३. माता को धैर्य बंधाकर राजपुत्र हरिषेण का निर्गमन व वन में विद्युच्चर चोर
की पल्ली में प्रवेश । शुक का कथन-शीघ्र पकड़ो और मारो। ४. शुक का कथन सुनकर हरिषेण का बहिर्गमन व तापसों के आश्रम में प्रवेश ।
वहाँ शूक का कथम-पाश्रमगुरु आये हैं, सम्मान करो । पूछने पर शुक ने बतलाया कि वे दोनों शुक एक ही माता-पिता की सन्तान हैं । किन्तु मुनियों व चाण्डालों द्वारा पाले जाने से संस्कारानुसार वह वचन-भेद । कथान्तर । जनमेज तापस की पत्नी नागवती का पुत्र चम्पापुरी का राजा । उसकी बहिन मदनावलि के विषय में ज्योतिषियों का आदेश कि वह चक्रवर्ती की पत्नी होगी। उसके लिये प्रोड्र के राजा काल द्वारा चम्पापुरी का अवरोध । शत्रु को असाध्य जान सुरंग द्वारा मदनावलि का निस्सारण । उसका माता सहित पिता के आश्रम में आगमन य हरिषेण को देखकर कामासक्ति । शतमन्यु
तापस द्वारा हरिषेण का निष्कासन । ६. सिंधुनद के तीर सिंधुनद पट्टण के सिंधु नरेश की सिंधुदेवी कन्या सरोवर में
स्नान को गई । हाथी का भय । हरिषेण ने पहुँचकर गज का निरोध किया। गज का वशीकरण व देवों द्वारा पुष्पवृष्टि । सिंधुदेवी से विवाह । विद्याधरी द्वारा हरिषेण का अपहरण । पूछने पर वृत्तान्त-कथन । जम्बूद्वीप, भरतक्षेत्र, विजया की उत्तर श्रेणी में सूरोदय नगरी, सुरधनु नरेश, बुद्धिमती रानी,
जयचन्द्रा पुत्री। ८. वह चित्रपट देखकर मोहित । इसीलिये यह अपहरण । विवाह । विद्याधरों के
अधिपति गंगाधर का रोध व अाक्रमण । ९. सुरधनु को सूचना । हरिषेण द्वारा धैर्य व पात्रु का सामना करने निष्क्रमण ।
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