Book Title: Jivvicharadiprakaransangrah
Author(s): Jindattsuri Gyanbhandar Surat
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 14
________________ REAK प्र०-धनवात और तनुयातमें क्या फर्क है? उ०-धनवात जमे हुए धीकी तरह गाढ़ा है और तनुवात तपाये | ४ हुये घीकी तरह तरल है, धनयात स्वर्ग तथा नरक-पृथ्वीका आधार है और तनुवात नरक-पृथ्वीके नीचे है. साहारण-पत्तेआ, वणसइजीवा दुहा सुए भणिआ।जेसिमणंताणं तणु, एगा साहारणा तेऊ ॥ ८॥ म (सुए) श्रुतमें-शास्त्रमें, (वणसइजीवा) वनस्पति-कायके जीव, ( साहारण पत्तेआ) साधारण और प्रत्येक ऐसे, (दुहा) दो प्रकारके (भणिया) कहे गये हैं. (जेसिमणताणं) जिन अनन्त जीवोंका (एगा) एक (तणु) शरीर हो, (तेज) वे (साहारणा) साधारण कहलाते हैं ॥ ८॥ | भावार्थ-सिद्धान्तमें वनस्पतिकाय जीवोंके दो भेद कहे गये हैं;-साधारण-वनस्पति-काय और प्रत्येक बनस्पति-| ४. काय. जिन अनन्त जीवोंका शरीर एक हो वे जीव, 'साधारण-वनस्पतिकाय' कहलाते हैं. कंदा-अंकुर-किसलय,-पणगा-सेवाल-भूमिफोडा अ। अल्लय-तिय-गजर-मो,-स्थ वत्थुला-थेग-पल्लंका ९ कोमलफलं च सवं, गूढसिराई सिणाइपत्ताई। थोहरि-कुंआरि-गुग्गुलि, गलोय-पमुहाइ-छिन्नरुहा ॥१०॥ (कंदा ) जमीकन्द-आलू, सूरन, मूलीका कन्द आदि (अंकुर ) अङ्कुर, (किसलय ) नये कोमल पत्ते, (पणगा है सेवाल) पाँच रंगकी फुल्लि-जो कि बासी अन्न वगेरेमें पैदा होती है, और सेवाल पाणीपर जमती है (भूमिफोडा) भूमिस्फोट, वर्षा ऋतुमें छत्रके आकारकी वनस्पति होती है, (अल्लयतिय) अद्रक, हल्दी और कर्चुक, (गज्जर) गाजर,18 सव

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