Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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कता
संख्या
संख्या
E
दीपावलीकल्प ..
३२४
b
u
......१-४
Pos full to
.............
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३९९ भडार
पत्र भंडार ग्रंथांक |
पत्र ग्रंथन नाम
- संवत्
ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम
कर्ता संवत् नाम त.का. ११२१ • दानशीलतपभावनासंवाद
त.का. १३३१ दीपाली गुणना ........ डूं.का. १०३६ ० दानशीलतपभावनाकुलक .............
का. २९५ दीपावली कल्प
गणेशमुनि पं..................१८९९ ४३ थी ५५ सह वृत्ति अपूर्ण
२४५ दीपावली व्याख्यान .............. उमेदचंद्र.....................१९२९/-...७१-९४ आ.का. ३१८ दानशीलतपभावनासंवाद .
२७०
...... २१ लो.का. १३६ दानशीलतपभावना कुलक
दीपावलीकल्प ................. डूं.का. १२२९ दानशीलतपभावनो संवाद.. ....समयसुंदर
१३१२ दीपावलीकल्प, डूं.का. १२६६ दानशीलतप चौढालिये..
७४१ दीपावलीकल्प सह टब्बार्थ ..
...१९११ + गौडीपार्श्व स्तवन
५८५ दीपावलीकल्प ........ विमलमुनि. आ.का. १३५ दानशीलतप संवाद ......
दीपावलीकल्पसह टब्बार्थ ....... | लक्ष्मीराज-ले................ लों.का. २११ दानशीलतपभावना संवाद ........ | समयसुंदर
दीपावलीव्याख्यान ......... गुणसुंदर ....... जि.का १०७५/१ ० दानपट्विशिका वृत्तिसह .........राजशेखर-मू.क., ...........१५५२ ..... १-९
दीपावलीकल्प
जिनसुंदरसूरि .. वृ.क.दैवललामसाधु...........
दीवालीकल्प ....................
विमलमुनि ............... डूं.का. ७४६ दानादि कुलक.................. देवेन्द्रसूरि ....................१८९१ ......२९२|
दीवालीस्तवन ................... गुणहर्ष ................. जि.का ५१४ दानादिकुलक सस्तबक अपूर्ण .
................६
दीवाळीकल्प ... जि.का १६०४ दानादिकुलकबालावबोध अपूर्ण
लों.का. ४२८ दीपावलीव्याख्यान डूं.का. ५९९ ० दानादिकुलकवृत्ति ........... सुमतिनिधान ......१८६२.......१४५/
.१४५ डूं.का. ७२१ दुरियरयसमीर .................. समयसुंदर ............... लो.का ६३२ दामनकचौपाई
शानधर्म .............र.१७३५.
र.१७३५,.....१-११| डूं.का. ९६९ दुरियरयसमीर वृत्ति ............... समयसुंदर ................ ...................ले.१७७८
| डूं.का. ३२४ दुरियरयसमीरवृत्ति .... समयसुंदर ............... जि.का १०५१ दार्शनिकग्रंथ अज्ञात अपूर्ण....
१८ जि.का १६१९ दुरियरयसमीरस्तोत्र जि.का ६८६० दिक्पटचोरासीबोलकवित .......
................१७६४ जि.का. १६२० दुरियरयसमीरस्तोत्र जि.का १०३८ दिक्पटचोरासीबोलविसंवाद......जिनसमुद्र............
बालावबोधसह अपूर्ण जि.का २१४३ ० दिगंबरचोरासीबोल.....
३ जि.का १६२१ • दुरियरयसमीरस्तोत्र सावबूरिक जिनवल्लभसूरि जि.का १९३५ दिव्यतत्त्व. ............. रघुनंदन भट्टाचार्य .
२४||
पंचपाठ डूं.का. १५९ दीक्षा-सूतकादि विविध
...............३थी१० जि.का २१६०/१९ दुरियरयस्तोत्र .............. विचार संग्रह
| जि.का. १२५३ दुरियरस्तोत्र अपूर्ण ............... जिनवल्लभगणि....... डूं.का. १६४ दीपालिका कल्प
|......१६||जि.का ३८९ दुरियरयसमीर महावीरचरित्रस्तोत्र. जिनवल्लभगणि ........ जि.का ९८७ ०दीपालिकाकल्प ................. जिनसुंदरसूरि ........... र.१४८३.... ४-११ जि. .का १२८२ ० दुर्गवृत्तिव्याश्रयमहाकाव्य ........ जिनप्रभसूरि स्वोपज्ञ.........१५००/ १२२-२८२
...ले.१७४०
स्वोपज्ञवृत्तिसह त्रू. अ.
.............
....२४
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