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५७४ - संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट -१
परिशिष्ट ९: संख्या सूचक शब्द संकेत यह सूचि इसवी सन् १९८८ में सेवामंदिर-रावटी-जोधपुर राजस्थान की ओर से श्रीमान् जोहरीमलजी पारख द्वारा संपादित व प्रकाशित 'जेसलमेर (राजस्थान) हस्तलिखित ग्रंथोंका सूचिपत्र द्वितीयखंड इस नाम के सूचिपत्र के परिशिष्ट से उद्धृत है । शब्दों द्वारा सूचित मंक (साल) को जानने का तरीका - उदा० "विक्रमादष्टाष्टाधीन्दु' ऐसा लिखा हो तो दायीं ओर से पहला अंक इन्दु याने १, अब्धो याने ४, अष्ट याने ८, अष्ट याने ८ इस तरह यह साल होगी विक्रमको १४८८ संवत् इसी तरह शब्द से अंकोको दायीं ओर से पढे ।
१ अभि ..................... | अब्जिनीपति ................१२ | अरि ..........................६ | अश्विनि .................. १४ | माप.......................... ४ | उडू .........................
| अंशुमाली ...................१२ अदोश्चर ................. भब्दबीज................ अरुण ...-----..........
| आशा .......
उड्पति .................. अर्क......... भष्ट. आश्रम
उत्कृति ................ २९
आहर्व अक्ष.....अद्वेतवाद. अधि ...................
अष्टादश.. अचि ..
उदधि......... अक्षि ......
उदन्यन्त..... उपाध्याय..... अब्राहा....... अर्जुन बाण.
इन......... अक्षौहिणी..............१९, २३
१००० अनन्त... अभिनय..................२, ४ अर्जुनभुज...............
उदन्वान.......
असिधारा ............ अग्नि...........................३ अनन्त चक्षु.............
अध..... अर्जुनसुत .................. असु ...................
उदय.....
इन्दुकला ... mm अनल...................१,३,७ अमर ....................
अर्णव .................-- अखक .................. इन्दुवाजि.....
उदयिम् .............. अनिल.................. ५, ४९ अमरलोक...................२१ | अर्थ ........
अहन्....................... इन्द्र ....... १४, १०००,१,२४ उपचार ....... अनीक...................
| अर्थि अमरालय ................... ......
महस्कर ...................
उपाह ................. अम..........२,४,५,६,७,८.
इन्द्र चक्षु..................१०००
अहि | ......................
उपाय....... अनद्वार .............
अर्बुद.....
इन्द्र दृष्टि ................ १००० अनत्तर...................
उम.......... अङ्गिरस.................९.११ अनुप्रेक्षा .................. अमृतधुति .....................१
महिकुल ................... इन्द्र नेत्र...................१०००
| अर्यमा.... अंलि ..................- अनुयोग..................... अमृत रुचि ................... अर्हत्..
अहिपति मुख .............१००० इन्द्र ......... अष्ट ............... अनुष्टम्...................... अम्ब
आँख...........
क................. अझोपांग.....
उर्वी ............. अनेकप .................. अम्ब र.............. ...
आँखडी ...mommam अपोष..... अन्तःकरण
अलिपद ... आकाश.......-
उष्णांशु ......
- अली अम्बुज छन्द.............१०००
आकृति ........ इलापति
उष्णरश्मि अन्तर ....... अम्बुद...mmmm आखण्डल...............
ऋक्ष ........ मजमुख... अन्तरिक्ष.. मम्युधि....... अवनि
आचार ...... अणु-- अन्त्रि
इंश..... ........ अम्बनिधि..
अक्लेभ.. मति जगति
अवस्था माज्याश ईश मूर्ति
ऋषि....... अप....... अति घृति. अपापत्ति अम्मोनिधि अशिव आत्मा
ईश्वर मयत
आदि इंश्वर ग
एक अधिष्ठि...
अश्वि .....
आदित्य इधर नवन...
एक विंशति ................. अब्जदल ...
इन्द्री ........
उर्वरा .........
अलि...
अचल...
अन्तक.......
अन.
इ
आज्याश..
अतीत..
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