Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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वर्ण...............
रत्न.............३,५,९,१४,१३ रत्नाकर.. रख धुर्य
वत्
| रावण मुख................
रावण शिस्त्र .............. रावण श्रुति ............ रावणांगुलि ......
विषय................... विष्टप.. विष्णुपाद्.. विष्णुभुजा.. विहायस्...... श्रीहि..........
यति
वर्षधर.
स्द
५०८ - संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट - १ महेश्वर ........
यक्ष ........
यज्ञ... मातग...माता ...
यज्ञोपवित्र सूत्र.............. मातृक.... मात्रक.....
यति धर्म ................... मारुत...
यतिप्रतिमा ..................१२ मार्गण ...... ........५. मार्तण्ड......................
यम..............२, १२, १४ माला ........................ .
यमक.........................१२ मास........ .........
यमराज....................... २ मासार्ध..
यमल.......यादः पति...................
न
.....................
...............३२
शशि .................. रिप..........रोति ......
........१
रमा.....
......................१
वलय............ वलि... बहिन................. वहिन शिखा................७ ब सु ........................८,७
रवि रविकर....................१००० रविचन्द्र रविवाह... रशिम...
वसथा
.........
.
.
له خلی
रोहिणी ........................ ४ रोहिणीपति ....................१ रोहिताश्व ..................... ३ लब्धि .....................९.२८
मिथन ........................र
याम .... युग .........
वसुन्ध रा .......................१ वाडव..... वाजि वाजी ...................... ३,७
वाखव................ वाह ..... विशंति विकतन.... विकृति ...................२३,६ विक्रम....................३,१४ विडोजा..................... १४ विद्या .................३,१४,१८ विधादया ....................१६ विद्यास्थान ................. १४ विधि ......................४,८ विधिमुख ..................... ४ विधु ........................१,४ विनायक दन्त ...............१ विनायक स्कन्ध............२ विबुध.....
....३३ विबुधालय ..................२१ विभव. विभाकर.. वियत् ... विशिख.. विशेष.. विशोपक. विश्व .................३.१३,१४ विश्वमित्र आश्रम.......१०००
रस...
रस
......
....६.९
मिहिर .......................१२ मीन
बृहस्पति..... बृहस्पति हस्ता ............१२ वेद........................३,४ बेदाग ....................... ६ वैवस्वत......................२ वैश्वदेवाहा ..................१३ वैश्वानर.......................३ व्यय .....................१२.२० व्यसन......... व्याकरण ....................८ व्याधी स्तन................. व्याल व्योम
..--.-....-१२
रसातल...
.............
.
७
मुक्ति
..........................
राग
लेश्या ........................६ लोक ..................७.१४,३ लोकपाल .................४८ लोक बन्धु ................. १२ लोचन..
०,४
युगल... युनक... युथप ........ युथपनाथ.... युवा .....
बाणिग .............------ बात ................----
मुख
५,४९
रागिनो. राजमण्डल ..................१२
VOU
राजा .....
वक्त
योग ....
वघ्न
मृगशिर. मृगाक मृगादन. मेदिनि मेदिनीपति मेघ मेघाण्य.
योगग... योगेश्वर.. योजन (कोश).... रजनीकर रजनीनाथ ................. रजनीश............... रजसूत्र....
राज्याा . रात्रिपति.. राम....... रामनन्दन..... राम-लक्ष्मण.. रामसुत ......
वक्र..... वक्षोज.. वचन. वज्रकोण वक्तिन
वामदेव............... वायु ...... वायुसख... वार.... वारण. वारणरद.. वारि.. वरिद.... वरिधि वारिनिधि. बारिराशि .....
व्रीहि शक्ति शक............ .. शक यज्ञ.................१००
बदन....
रामा
बनधि
विभो ...........
वयरमा
शक्रवाह.....
मेष ......
रावणचक्ष ................. रावण भुजा ................ रावण मस्तक..............१०
वर्ग........
विश्वेदेव.....................१०
विश्वेदेवा ....................१३ | विषधि........................४
शक्व री........................१ शंकर ........................ ११
ति
..........................६
वर्ग मूल ...................३
वार्षि
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