Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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..............मान....
श्रेष्ठी
श्रेष्ती
विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ - ५९९ विशेषनाम किम् ग्रंथांक |विशेषनाम किम्
ग्रंथांक |विशेषनाम किम्
___ ग्रंधांक पद्यचंद्रसूरि ..... ..................जि.ता.२३१ पर्थि......... .................जि.का.१४०२ पाश्चदेव..
..................... जि.ता.२०५ पन्यदेव..................... श्रेष्ठी .................. जि.ता.१९२,२१७,२७२,३१२ | पर्युषणा .................... जेनपर्व...............................
लो.ता.३/८ पाश्चदेव........
...................... जिता.२५६ पञ्चदेवसूरि.............. ..जि.ता.२३७ पल्लिका................. पालीनगर.............................. जि.ता.८५/२ पार्श्वनाग...................
श्रेष्ठी ................जित
जि.ता.२०९,२३५,२५६,३१२ पद्मनाभ ................... राजा ...............
जि.ता.२५२ लेखक-श्रेष्ठी ........................ जि.ता.७६,३०१ पार्श्वनाथचैत्य.................
... जि.ता.२५६,२५९.२७०/४, पद्मप्रभ .................... तीर्थकर ........
.जि.ता.२५६ पवयणदेवी ............... ..................................जि.ता.११
जि.का.१०८,८५० पत्यप्रभसूरि ...................... .....जि.ता.२८८.५०,२५६ पवित्तिणी ........
.............. लो.ता.४ पार्श्वनाथ तीर्थकर .......................... ............जि.ता.८५,११२.२३७, पद्ममंदिर पं०............. मुनि............. ..जि.का.१४८३ पंचक ......................
.जि.का.१०८६
...............२५०.२५२,३४०, पद्यराजगणि................. मुनि.............. .........नि.का.२७,८५,१३९१ पंचप्रमाणीवृत्ति ............ ग्रंथ ....................... ... जि.ता.२५३
.............. जि.का.११०८,१७३५ पद्यलदेवी.................. श्रेष्ठिनी ..नि.ता.२३९/२ | पंचमी उद्यापन .................
......जि.ता.४२६ पाश्चनिकेतन .......................................................... जि.ता.११४ पद्यला ..................... श्रेष्ठिनी ......... १५.२०६.२३६ पंचशिख................... महर्षि
जि.ता.३९३ पार्श्वनेतुः सदन ........
....................जि.ता.२७२ पद्यसिद्धि गणिनी ......... साध्वी .. ..जि.का.१५८१ पंचाइण मंत्री............. श्रेष्ठी
जि.का.८५० पाचवीर .................... श्रेष्ठी .................................जो.ता.११९.१५ पद्मसिंह .............. श्रेष्ठी ... .... जि.ता.२०६,त.ता.२ |पंचानन विप्न ... ...नि.का.७४,१६६५ पार्श्वसाधु ................
...जि.ता.३४० पद्याक .....................श्रेष्ठी ..... ..................जि.ता.२७२ पंचासर
ग्राम. जि.ता.२५९ पश्विलगणि .....................
.जि.ता.२१४/१ पद्यानंदसूरि ........ ......................त.ता.२ पाजाक
श्रेष्ठी
.. जि.ता.२५२ पालउद्र .................... ग्राम..................... ... जि.ता.२३७ पद्यावती ................ श्रेष्ठिनी. ..................................जि.ता.२५९ पाणिनी
महर्षि ... जि.ता.३६९ पाल्हण ठक्कर..........
.... जि.ता.४०३ पद्यावतीपत्तन ....... नगर .................................. जि.का.१८३३ पातू ........
श्रेष्ठिनी जि.ता.२५६ पाल्हणसिंह ............
............................. जि.ता.१५ पचिका. श्रेष्ठिनी. .जि.ता.२३७ पादरा ...
जि.ता.२३२ पावटी .................. नगर ...
जि.का.१७२१ पन्धिनी. श्रेष्ठिनी... जि.ता.२१७ पारि ......
.जि.ता.२८१ पासड......................
श्रेष्ठी
..जि.का.२३६ पची...... श्रेष्ठिनी. जि.ता.२३२,२३६ पारीख ......
ज.का.८२१/२ पाससामिजिणभवण ..
.जि.का.२५२ पदाउर............. नगर ...... जि.ता.२३२ पारुत्य ....
जि.ता.२१७ पासुक................. परतापसी लेखक .... जि.का.८२१/२ पार्श्व.........
जि.ता.३४० पाहिका ............... श्रेष्ठिनी
... जि.ता.३२५ परमश्री महत्तरा ........ साध्वी ... जि.का.१०१८ पार्श्वकुमार...............,
जि.ता.२३७ पाहिनी................. श्रेष्ठिनी
... जि.ता.१५ मानंदसूरि .जि.ता.२३४ पार्श्वचंद्रगणि............... मुनि-लेखक
जि.ता.२५० पाहिल.................
.जि.ता.८४/२ गोत्र ......................१/३,२६,३४,४९,५४,६३, पार्श्वठक्कु र ............
... जि.ता.२३५ पांचाणी.................
.. जि.का.८२१/२ ६४,६०,८९,११०,१११,१२२.१४९, पार्वतीर्थ ......
जि.का.२२०८ पिङ्गल पं.
..जि.ता.३१४/४/५ .३६४/५,४०३/३ पार्वतीर्थशदेवगृहक .......
..जि.ता.३४० पोल्हाक ........
.... जि.ता.२३६ ............... जि.ता.३,१६,३०,९९,१०५ पार्श्वदत्त ................... श्रेष्ठी ...................... जि.ता.२३६,जि.ता.४२६ पुण्य
... जि.ता.२३६ जि.ता.२१/५ | पार्श्वदेवजन्मकल्याणक .... ............... जि.ता.७७/२ पुण्यप्रभसूरि
जि.का.१८५९
प्राम
......... २३१
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