Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 649
________________ ग्रंथांक श्रेष्ठी .. गोत्र....... विशेष नामों की सूची - परिशिष्ट १३ - ६०१ विशेषनाम किम् ग्रंथांक | विशेषनाम किम् ग्रंथांक | विशेषनाम बहुदेवी ........ श्रेष्टिनी.. ......... जि.ता.८५/२बोधक .... आचार्य .जि.ता.८८/२ भवभावना पढ़े बहुपाल........ .............लो.ता.८ बोधिस्थ................. श्रेष्ठी जि.ता.१५,२३२ तृतीयवार व्याख्यान........ ......... जि.ता.२३२ बहुरी.......... श्रेष्ठिनी .. ......... जि.ता.४२६ मोहडि .................. श्रेष्ठी जि.ता.२५६ भवभावना पढ़े चतुर्थवार श्रेष्ठिनी. ........ जि.ता.१५ थोहित्य ................... श्रेष्ठी ... जि.ता.२७२ व्याख्यान तिमिरपाटके. ....... जि.ता.२३२ बंदर ............... ....जि.का.३४८ ब्रह्म .................... गच्छ...... ... जि.ता.२३२ भवभावना पटे बंदिर......... जि.का.१३८१ ब्रह्मचंद्रगणि ............... लेखक .. जि.ता.१५६/३७ पंचमवार व्याख्यान . ................. जि.ता.२३२ बंदिराज.................. लेखक... ...... जि.ता.१३ ब्रह्मचंद्र पंडित ........... मुनि....... पाहरुशा.का.२९२ भवविरहसरि....... .......जि.ता.२११.२१४ बंधक ................... श्रेष्ठी ... ...जि.ता.२३७ ब्रह्मदेव ................. श्रेष्ठी ..... .जि.ता.२३१ भंडशाली ................... गोत्र ................ जि.ता.२५२,थाहरु.का.२८९ ...जि.का.४३१ ब्रह्ममूर्ति .................. उपाधि ......... ..जि.का.१२२९ भंडार ....... ...जि.का.२१७५ बारेजा .... ग्राम...... जि.का.१८६६ माशांति ................. ..............जि.ता.१९ भंडारी.................. .......जि.ता.७६ बालचंद.................. मुनि........... .......जि.ता.७६ ब्रह्माण .................... गच्छ ........................ जि.ता.१६४,२३२,२५२ भाऊ...... श्रेष्ठिनी ..................त.ता.८ बालचंद.................... श्रेष्ठि ............ ...............जि.ता.२३१ ग्राह्मण ..................... शाति ......................................जि.ता.३१२ भागुरि.................... ग्रंथकार जि.ता.३१० बालप्रसाद ................. ................ जि.ता.२३२ भादा................... .जि.का.१९४६ बालबृहस्पति .............. राणा (2)....................... जि.ता.४०८ भक्तिमंदिर .............. लेखक-मुनि ................. जि.का.२७२,३५३, | भानुविमल गणि .जि.का.१३७७ बालोतरा................... ग्राम.................................... जि.का.१८३३ ...............................४२३,४४७,४६४. भारतवर्ष ............... जि.ता.२३७,२६० बाहड...................... श्रेष्ठी ....................... जि.ता.३१/२,२३६,२३७ भणसाली .................. गोत्र ..................जि.का.१०८,थाहरु शा.का.६४ भारती.. ...जि.का.१६७० बाहुपुर ..................... नगर ...................................जि.का.१२७९ भद्रगुप्तसूरि.......................................................जि.ता.४०३/४ भारती.................. प्रेष्टिनी ..जि.ता.२५६ बाहुबल .... अमात्य...... ....................... जि.ता.२३७ भद्रबाहुस्वामि ...............................जि.ता.२७२,२८०,४०३/४.त.ता.८ भार्गव.... महर्षि ...जि.ता.३९४ बिकानेर ................... नगर, .........................८५,१०८ भद्रेश्वरसूरि..................... ......जि.ता.३०१ भावदेव....................श्रेष्ठी .जि.ता.१९/६ बिल्हण ............ ........... लेखक.................................जि.का.१२७५ भखाज .................... कुल ................ जि.ता.३२० भावधर्मवाचक ......... ..जि.का.८६९ बिल्हण ....................श्रेष्ठी ................................ जि.ता.१५७/५ भरमादेवी.................. श्रेष्टिनी ...........त.ता.८ भावसुंदरपतेः व्रतोत्सव.... ...जि.ता.४२६ बीकानेर ................... नगर .............................जि.का.८४,१४७८ भतहरि...................... ऋषि ...जि.ता.३८६ भानां श्रेष्टिनी ... जि.का.८५० बुद्धिसागरसूरि ............................... जि.ता.२३५.२५०,२५६,२७२,३४० भवभावना पढ़े भांडकर...............-- ................जि.ता.८९ बूटिक ........ ............ नगर ...................................जि.का.२१७३ प्रवमवेला व्याख्यान .जि.ता.२३२ भांडशालिक...............शाखा ............................................त.ता.८ बहत्खरतरगच्छ..................................... जि.का.४४८,१४०५,१४८३, भवभावणा पदे भांडागार .....................................जि.ता.२९/२,जि.का.८,१२,१३,१४, ................ १५३२,१६२१,१७५९,१७६९,थाहरुशा.का.२८९ द्वितीयवार व्याख्यान .... ..........................२२,२४,२५,२६,४०,जि.का.४५,४६,५६, बृहत्खरतरं वेगडगच्छ ................... ...जि.का.३४८,४५०,६७३ ... जि.ता.२३२ ...........................१०८,१५७३,१७६९,थाहरुशा.का.६४ वृहद्गच्छ .............................................. जि.ता.२३१,जि.का.१८५९ भांडागारिक................ गोत्र ........................................जि.ता.७६ श्रेष्ठी श्रेष्ठी Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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