Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 623
________________ संख्या सूचक शब्द संकेत - परिशिष्ट ९ - 404 । कलानिधि...................... कलि ....... मो.............................१ ग्वाधि .........................४ चार...........................४ चित्रभानु...........१२, १६. | | एकादश.................१ (११) एकोनो विशति .............१ एणभूत... एणाक.. ऐशवर्य कषाय.......... .......... क्षेत्र........................... ७ क्षोणी. क्षोणीश.. मा.... .....................१ .. ............०.९ खग्..........................९ काम.. .......usian... घन ............ .ma.m. | घन......................२,१५ धोटक........................७ कामगुण......................५ कामदेव.....................१२ कुम्भी .........................८ कुम्भीपाल....................८ | कुरुभूपति सेना ............. ११ कु ल ........................... | कुलगिरि .... | कुलपति .... | कुल पर्वत. कुलाकार .. कुलाचल कुलादि.. गिरि ......................७, ५ | गिरी......................६,८ | गिरीश.......................११ गण....................३. ६.९ | गुणमणि................. .१४ गुण स्थान...... | गृति ........ | गुल्फ ...... NW0...60 ओषधीश.................. ककुम.................. कथा ........... ......... खड्ग गुह ... | चक्ररथ...... चक्रवर्ती ......... चक्रवर्तिन ........ चक्रबाल चक्रिन.. चक्रिराजन ....... कपर्दि ....................... ११ कपार. कपालभूत्.... कबुग्रीव रेखा ................. कमल दल ......... १००,१००० कारक....... कार्तवीर्यशर .. ...........१००० कार्ति के नेत्र ............... १२ कार्ति केय ................... ६ काल.................. ........... ३. ६ कालिदास काव्य.............३ काशयपि काष्ठा कास्य ..... किरण कीचक धारा खण्ड खर. खानि खेचर. छाया ....................१.१० छिद्र .......................०.९ जग....... जग चक्षु ...... जगत: जगती .................१२, ४८ जंघा ......... जट.......... जपमाला ......... जम जरात्रि जरासन्ध... जल.. खेट. कृत....... ..........४ कृत रावण मुण्ड .............९ कृता.. कृतान्त.... कृति ............२, २०, २२ कृशानु. ............५ गुह वक्त. गुहाक्षि.. गुहास्य गृहाधीश. गृहानल. करणीय ... करभ (करभ)...............६ कररी. कराङ्गुली करिवासक. करी.. चक्षु...................... २, २० चतुर ....................... चतुरिका स्तम्भ ............. चतुर्दश चर्तुविशति ................. २४ चतष्टय....................... चत्वारि ...... क्रतु. कुच..... कुअर ..................... गगन. गङ्गा गोरी गङ्गा मार्ग Poee गङ्गा मुख गज....... | गन जाति ..... गज दन्त ..................... गजस्य ............ गणपति रदन ................. गति ............गन्ध र्व ........................७ गयवर ... गोचर.. गोचरण ......... जलाध....................४. ७ जलधि भोजन ............ जलनिधि.................४,७ जलाश्य......................४ जाति ........................२२ कर्ण गोत्र......... कमे... जानु..... गोदावर्य ....... गोस्तन ........ & MM कर्मदेव.... कलत्र.... क्रिया स्थान.................१३ क्रोशारी......................६ क्षपाकार.... साकार .....................१ क्षमा ............................१ क्षमाखण्ड....................६ क्षमाधर.......................७ क्षमापति मंडल .............१२ क्षिति..........................१ कुभन्त ...............कुभारवदन....................६ कुमुद ........... | कुमुदनि पित.................. | कुमुदवान्धव ..................१ कुम्भ ........................११ चन्द्रकला ..............१५, १६ चन्द्रकी......................१६ चन्द्रयति....... चन्द्रवाह.... चन्द्रशेखर.. चन्द्राश्व.................. चर चरण ...................... २,४ गौरय....... जास्व स्य ..................... जाहवी. ...................१००० जिन.. जिनोपासक प्रतिमा.........११ जिष्ण. जीभूत.......................१७ कलश गवांधि. ग्रीवा रेखा....... पर . ..... .......५ कलाधर ............. गायत्री ...................... २४ ग्रेवयक...................... Jain Education International For Private &Personal Use Only www.jainelibrary.org

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