Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

View full book text
Previous | Next

Page 601
________________ कागज की मूल हस्तलिखित प्रतियों के पेटी क्रमांक तथा ग्रंथ क्रमांकों की सूची परिशिष्ट ४ - ५५३ पेटी. ग्रंथांक २० ८७८ से १०१७ | पेटीनं. ग्रंथांक अप्राप्त ग्रंथांक तपागच्छ कागज का ज्ञानभंडार १ से १६ १० से २८ २९ से ५४ ५५ से ११ ६२ से १ ८२ से ११२ ११३ से १३६ १३२ १३७ से १६९ १७० से २८५ १९६. २००, २४३. २४४, २५१, २५३ १० २८६ से ३३२ २८६. २८७. २९४, ११ ३३३ से ४१४ ३३८, ३५१, ३५६ १२ ४१५ से ७२ ४२६ से ५३३ ४८०, ५०१ ५४५ ." m»rusvr । २१ | पेटीनं. प्रथांक अप्राप्त ग्रंथांक | | पेटीनं. प्रथांक अप्राप्त ग्रंथांक | ३३ १२७९ से १३८८ १३०७. १३११, १३१२, १३१९. थाहरुशाह कागज का ज्ञानभंडार १३३५. १३३९. १से५व १३७०, १३७२. ४५ से ६२ १३७४ से १३७७. | २ ६३ से ७० व ૧૩૮૧ ७ से ८५ ३४ १३८९ से १३९३ ८६ से ११७ व ११८ से १६१ १५८ लीकागच्छ कागजका ज्ञानभंडार ४ १६२ से १९४ व २२४, २३३ १ से २२ १९५ से २४९ २३ से २९ २४६ से २६३ ३० से ५३ २६४ से २७२ ५४ से ६३ २७२ से २९५ ६४ से ८८ २९६ से ४८४ ३००.३०४ से ३१०, ८९ से ११३ ३३०.३३५.३४४,३४५, ११४ से १४२ १२४ ३६२,३७४,४०८,४३७, १४३ से १९१ ४४२,४४६.४५३.४५४, १९२ से २५० ४५७,४६६.४७५.४८२ २५१A से ३०६ २६३.२९६ १ २३४ से २४५ - ३०७ से ३८४ ३२५,३३४.३४९.३७१ | आचार्यगच्छ कागज का ज्ञानभंडार ३८५ से ४५४ ३८६,४३४.४३६ -४५५ से ५१५ ४६४,४०४थी ४७६.. ४ से ३८ ४९३,४९९ ३९ से ६३ ५१६ से ५५६ ५२२.५२६.५२९. ६४ से १२० ५३०.५४६ १२१ से १९४ ५५७ से ६३४ १८६. १९१ ५६२,६१०.६२३ ६३५ से ६९० १९५ से २४९ ६५४ से ६८४ ६९१ से ७३७ ७११ से ७२१. ७२३ २५० से ३२६ से ७३२ ३२७ से ३७१ १०१८ से १०६७ अप्राप्त ग्रंथांक - ८०५, ८०८, ८१०, ८१५, ८१७.८४३. ८५८. ८६५, ८७२ ८८१, ८८३.८८६. ८९१, ९०१, ९०४, ९२१, ९२५, ९२६. ९५९, ९६२, ९६८, ९६९. ९७३, ९७४, १०१४ १०१९, १०२१. १०५५. १०६०, १०६७ १०८०, १०८३. १०९०, १०९८. ११०६ १११३, ११२१, ११४२, ११४८ १२१८, १२१९. १२२२, १२२८. १२५५, १२६४ १२७५, १२७० २२ १०७३ से ११११ २३ १११२ से ११८५ २४ ११८६ से १२६७ ८९.१०४ ६४८ ६६८.६८२ ६९५, ७१६. ७२९ ७३८, ७५३. ७५५. ७५७.७७६, ७८५, ७८८, ८०२, ८०४. २५ १२६८ से १३३२ ता.क.: इस भंडारकी प्रते सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर जैसलमेरमें रखी है। Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665