Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 600
________________ ५५२ - परिशिष्ट ४ परिशिष्ट . ४ : कागज की मूल हस्तलिखित प्रतियों के पेटी क्रमांक तथा ग्रंथ क्रमांकों की सूची | पेटीनं, ग्रंथांक्र अप्राप्त ग्रंथांक पेटीनं. ग्रंथांक अप्राप्त ग्रंथांक पेटीनं. ग्रंथांक अप्राप्त ग्रंथांक से ५६१ ५३४. ५३६. ५३८. ५५८ ५८४, ६०५ | पेटीनं. ग्रंथांक अप्राप्त ग्रंथांक जिनभद्रसूरि कागज का ज्ञानभंडार १से ३५ ३६ से ६७ ६८ से ७१ ७२ से ८५ ८२ से ९८ ९९ से ११३ ११४ से १३९ १४० से १७३ १७४ से २२७ ४२ ४३ ४४ ४५ ४६ ४७ ४८ ... २५ ११९९ से १२१८ १२२२ से १२२७. १२३७ से १२४०. १२४३ से १२७३ २६ १२८३ से १२९० २७ १२१९ से १२२१. १२२८ से १२२६. १२४२, १२७४ से १२७८. १२९१ से १२९६ २८ १२९७ से १३११ २९ १३१२ से १३२५ ३० १३२६ से १३५० १७७६ से १८१३ १८१४ से १८८९ १८९० से १९४७ १९४८ से २०३० २०३१ से २१५२ २१५३ से २२१९ २१६०, २१६३. २१६४ २२२० से २२५३ ६६७ २०३५ २१८२ EEEEEEEE ८११ FFFFF ૧૭ से ३७० है. ३७८ से ४२७ १३२८, १३२९. १३३०, १३४५ ४७६.५१३ ४२८ से ४६१ ४६२ से १७५ ५७६ से ६७८ ६७९ से ७३२ ७३३ से ८१० ८११ से ८९२ ८९३ से ९६७ ९६८ से १०२० १०२१ से १०७१ १०७२ से ११४३ ११४४ से ११९८ ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४० ४१ ७०३,७२५ ७६६ ८४८ ९४५ ९९१ १०३२ १३५१ से १३६५ १३६६ से १३७४ १३७५ से १३९८ १३९९ से १४३६ १४३७ से १४७६ १४७७ से १५०० १५०८ से १५६३ १५६४ से १६४६ १६४७ से १६८८ १६८९ से १७२० १७२१ से १७७५ ७२४ ७६४, ७७६A ७९३,८०४ ८१२ से ८३२ ८२९ ८३३ से ८७१ ८३४ ८७२ से ८९७ ८९८ से १२७ ९०५. ९१४ (९१० और ११३ एक साथमें रखा है) २५ ९२८ से ९६४ २६ ९६५ से १०१८ ९९८, १००५, १००० २७ १०१९ से १०४६ (१०२६ और १०२९ एक साथमें रखा है) २८ १०४७ से १०७७ २९ १०७८ से ११११ ३० १११२ से ११५१ १११३ ३१ ११५२ से ११९४ ११७२. ११८३, ११९३ ३२ ११९५ से १२७८ १२०५ से १२१५. १२३३. १२३७ से १२४१ डुंगरजीयति कागज का ज्ञानभंडार १ से २९ ३० से ५६ ५७ से १०० ८२, ८६ १०१ से १५० १०१, १०२, ११६. १४४ १५१ से १८१ १८२ से २४५ २२० २४६ से २८० २५७,२७१ २८१ से ३३४ ३१९ ३३५ से ३९४ ३८७ १० ३९५ से ४४१ ४२२, ४२३, ४२४ ४४२ से ४७९ ४७२ (०४६ और ४८२ एक साथमें रखा है) १२ ४८० से ५२२ ५२२ ve १५६५ १ २२ २३ २४ ११६३, ११८८, ११९५ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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