Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
View full book text
________________
ग्रंथनुं नाम
कर्ता
| संवत्
१-४१
भंडार
अंधांक नाम लों.का. २९४ इ.का. १६७ त.का. १२३६ ई.का. १३७ लों का ७०१
३६७
२
.का. १८६ जि.का २००
५२३
का. ५८९
ENSEEEEEEEEEEE
सारस्वतव्याकरण त्रूटक ........ अनुभूति स्वरूपाचार्य .... सारस्वतव्याकरणवृत्ति हेमराज पं.ले. सारस्वतव्याख्या (क्षेमंकरी टीका सारस्वतव्याकरण..
चंद्रकीर्ती ....................१७४५ सारस्वतसूत्र
अनुभूति स्वरूपाचार्य ....... सारस्वतसूत्रपाठ... सारस्वत + हैमव्याकरण.... प्रथमपद समाधान सारस्वत ............. सारस्वत ....... सारस्वतव्याकरण .......... .....- अनुभूत स्वरूपाचार्य सारस्वतव्याकरण अपूर्ण ......... अनुभूतिस्वरूपाचार्य.... सारस्वतव्याकरण बालावबोध .... सह अपूर्ण सारस्वतव्याकरण सूत्राणि सस्तबक सारस्वतव्याकरण ................ अनुभूतिस्वरूपाचार्य सारावली ............
कल्याणवर्म सारावली प्रकीर्णक पत्र..............
सारोद्धारकोश सस्तबक ...... ० सारोवारसारसंग्रह ............
साईशतकप्रकरण...... सार्द्धशतकप्रकरणसूक्ष्मार्थ-.......मू.क.जिनवल्लभगणि, .. १.११७१ विचारसारप्रकरणवृत्ति सह ........क.चक्रेश्वरसूरि ........ले.१४०० सार्धशतकप्रकरण ................जिनवल्लभगणि ...... (सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण) सटीक सार्धशतकप्रकरण टिप्पणीसह ... पंचपाठ
सर्व ग्रंथों का अकाराविक्रम · परिशिष्ट १ - ४८५ | भंडार| ग्रंथांक | नाम ग्रंथर्नु नाम
कर्ता संख्या
| संवत् जि.ता. ४१५/४ सार्धशतकप्रकरण.. जि.का.६१३ साल्हाऋषिसज्झाय
शुभमंदिर डू.का. १३८७ साहित्यिक नैतिक त.का. १०२३/E साहित्यिक स्फुट पजे ..........
त्रुटक लघुग्रंथ त.का. ९६३ साधारणजिनस्तोत्र सह अवचूरि दयाविजयगणि ...............१८५१
सारस्वत प्रक्रिया अपूर्ण .का. ९४ |सिंदुरप्रकर..
भाग्यविलासमुनि-ले...........१९०१ सिंदूरप्रकर ......
सोमप्रभाचार्य ५ जि.का ६२३ | सिंदूरमकर ...........
सोमप्रभाचार्य १४ जि.का ६२४ | सिंदूरप्रकर ..........
सोमप्रभाचार्य ४५ जि.का १५९६ |सिंदूरप्रकर ...
सोमप्रभाचार्य २९८ |सिंदूरप्रकर .....
जितरंगमुनि-ले.......
सोमप्रभमुनि-क. १७/२ | सिंदूरप्रकर...... त.का. ११६६ | सिंदूरप्रकर..
सोमप्रभाचार्य, त.का. १२६८/० |सिंदूरप्रकर. जि.का. १५९८ सिंदूरप्रकर अवधूरि किंचिदपूर्ण लों.का.२६२ सिंदूरप्रकर त्रूटक. जि.का १५९७ ० सिंदूरमकर सटीक
सोमप्रभाचार्य-मू..
टी.क.हर्षकीर्तिसूरि जि.का. ७४२ सिंदूरमकर सस्तबक.........
सोमप्रभाचार्य.......-- १२१६ सिंदूरकर सुभाषित ... २९९ |सिंदूरप्रकर..
सोमप्रभमुनि .. |सिंदूरप्रकर.
हर्षकीर्ति | सिंदूरप्रकर..
सोमप्रभसूरि सिंदूरप्रकर...
सोमप्रभ आचार्य.. सिंदूरप्रकर.....
का.८१ .ता ४००/१ जि.ता. १८६०
जि.का १५१८
ENNA
जि.का २०८
Jain Education International
For Private &Personal use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665