Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas
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ग्रंथनुं नाम
पत्र
| नाम
...१७०२
भंडार ग्रंथांक नाम जि.का ५३२ त.का. १०२३/० जि.का १८२० जि.का.१०८७
.का.९७२
T
"..............७-८
..१५९
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..१-१५
जि.79
त.का. ४४४ त.का. ४४५ था.का ३७४ जि.ता,१५१/११ जि.ता. १५१/१७
वैद्यक ज्योतिष प्रकीर्णकसंग्रह . वैद्यक स्फुट त्रुटक लघुग्रन्थ पन्ने वैद्यकग्रंथ ... वैद्यकग्रंथ अपूर्ण..... वैद्यकविषयक प्रकीर्णक पानांओ..--
वैद्यकसारपंचाशिका ............... राजप्रमोदगणि ० वैद्यकसारोद्धार ............. - वैद्यकसारोद्धार सटीक अपूर्ण ... हर्षकीर्तिसूरि ...
वैद्यजीवन .............. लोलिबराज वैद्यजीवन सह दिपिका ........ लोलंबराजकवि वैद्यजीवनटिप्पणीसह ........... लोलिवराज वैद्यमनोत्स व..................... नयनसुख ....... वैद्यमनोत्स व................
केसवराय वैद्यवल्लभ व कालझान सहटबार्थ हस्तिरुचि मुनि
वैरागसंग्रह आदि प्रकरणसंग्रह .... ०|वैराग्यकुलक ..............
वैराग्यकुलक .......... |वैराग्यकुलक-धर्माधर्मफलकुलक.
राजसमुद्र ... वैराग्यपच्चीसी..
भैया.. वैराग्यशतक......
भर्तृहरि वैराग्यशतक............... भर्तृहरि .... वैराग्यशतक सह बालावबोध ... वैराग्यशतक ..................... भर्तृहरि.
वैराग्यसज्झाय .... . वैराग्यस्तोत्र + रत्नाकरपचीसी... रत्नाकरसूरि .
वैराग्यसज्झाय वैशेषिक न्यायग्रंथकी अवधूरि ...
...............
सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम • परिशिष्ट १ - ४६१ | भंडार| पंथांक संवत्
| ग्रंथनुं नाम
कर्ता
संवत् संख्या
संख्या जि.ता. ३२५ ० व्यक्तिविवेक काव्यालंकार ...... राजानक महिम ..............१३०० .......१९८ जि.का १९४/५ .
जिनदत्तसूरि ....... जि.का १३२६/१३ ० व्यवस्थाकुलक ............ जिनदत्तसूरि ...
१३०-१३५ त.का.३ व्यवहार भाष्य जि.ता.६१/१ व्यवहारभाष्य ..
जिनदासगणि क्षमाश्रमण....१४९०|... १-१५५ १] था.का ५३ ०व्यवहारभाष्य ...
धर्मकिर्तीगणि-सं.क..............
.....२२२ १४४ था.का.२४३ व्यवहारभाष्य
१४१ व्यवहारवृत्ति
११४० जि.ता.५९/१ व्यवहारसूत्र .....
भद्रबाहुस्वामी ................१२३६ जि.ता. ६०/६ व्यवहारसूत्र ......
भद्रबाहुस्वामी...
१-१९ व्यवहारसूत्र चूर्णी .....
१४९०
|... १-३०१ व्यवहारसूत्र
भद्रबाहुस्वामी -मू.नि.........१९८३ |..... ७१६ नियुक्तिभाष्यवृत्तिसह ............ १. मलयगिरि आचार्य व्यवहारसूत्र भाष्य...
...................१६-१३६ व्यवहारसूत्र मूल
भद्रबाहु............................... .......१४००...६३-६७| लों.का.
व्यवहारसूत्र मूल ............... गंगदास-ले. ............
व्यवहारसूत्र वृत्ति द्वितीयखंड .... वृ.क. मलयगिरि आचार्य....१४९०.......३७५ ....१४००... ५२-५४
२६ उद्देश पर्यन्त १-२ व्यवहारसूत्र सह टब्बो .......
.१-३६ ९४-९५ व्यवहारसूत्र सह टब्बो .......
१-३६ जि.का १०३ व्यवहारसूत्रचूर्णी .....
.....१९८३
......२२७ व्यवहारसूत्रवृत्ति तृ.खंड ७-१० ... वृ.क, मलयगिरि आचार्य ....१४९० ...३०७ उद्देश पर्यन्त संपूर्ण व्यवहारसूत्रवृत्ति द्वितीयखंड .... मलयगिरि आचार्य -वृ.......१९८४/......२२७ व्यवहारसूत्रवृत्ति प्रथमखंड ....... वृ.क.मलयगिरि आचार्य ....१४८९ ......३५० | प्रथम उद्देश पर्यन्त व्यवहारचूर्णी ............
---...१२३६.....१-२२१ डूं.का. ७८४ ध्यवहारभाष्य............."
........१८२९ ......१०५
-१-१० .........१-१६
जि.का ३५०२
लो.का, ७३
जि.का ४२०/४७ इं.का. ७९४ लों.का |७३६ हूं.का. ४०७ डूं.का. ११३८ लों का ४४६/A जि.का ८०८/७ लों का ४४६/B लों.का. ५४२
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