Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 508
________________ भंडार नाम कर्ता कर्ता संवत । नाम Aalaaaaaal ४६० - सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ ग्रंथांक | भंडार पत्र ग्रंथनु नाम संवत् ग्रंथांक ग्रंथनुं नाम संख्या इं.का. ५१९ बीशस्थानक तप विधि. |जि.का १७६२ वृत्तरत्नाकर ...................... भट्ट केदार .......................... वीशस्थानक तपविधि अपूर्ण.. लों.का २७५ वृत्तरत्नाकर छंद ................. केदारभट्ट ...............................१-१० दीशस्थानकतपोविधि .... जि.का १७६१ वृत्तरत्नाकर टिप्पणीसह ......... गोविंदसूरिशिष्य वर्धमान..... वीशस्थानकपूजा............... केशरसागर जि.का १७६३ वृत्तरत्नाकर सटीक .............. भट्ट केदार-मू............ र.१३२९ .......३० वीशस्थानकपूजा............... विजलक्ष्मी सोमचंद्र-टी. यीशस्थानकविधि ........ जि.का १३४४ वृत्तरत्नाकर सटीक पंचपाठ..... भट्ट केदार ... वीशस्थानकविधि अपूर्ण ........ ..५-१४| डूं.का.६७० ०वृत्तरत्नाकरवृत्ति.. यशकिर्ती................ इं.का. १०/२ वीशस्थानकभाषा विधि ..........-ज्ञानसागरसूरि ..... 1.का.६४२ वृत्तरत्नाकर ............ समयसुंदर ..... डूं.का. ७६२ बीस विहरमान विचार स्तवन .. डूं.का. ७३२ | वृत्तरत्नाकर ................ भट्ट केदार, जि.का ९३९ बीसलरास ....... ..... ११॥ डूं.का. ११५४ |वृत्तरत्नाकर ............... भट्ट केदार......... जि.का २०११ वीसविहरमानजिनगीतो अपूर्ण .. जिनराज ....... था.का ३२१ वृत्तरत्नाकर ................. भट्ट केदार-क.......... त.का. |७४० बीसविहरमानस्तवन जसविजय ..................१८५० ........९| बूं.का. ६४१ वृत्तरत्नाकरछंद वृत्ति सह ....... समयसुंदर ................ डूं.का. २१५ यीसस्थानकतपविधि ओळी मंडाण , डूं.का. ४४ ० वृत्तरत्नाकर ..................... सोमचंद्र................ जि.का ९०८०बीसस्थानकपूजा. जिनहर्षसूरि र.१८७१ लों.का/५७६ वृद्ध शांति .............. .ले.१८९५ जि.का. ११६१ वृद्धग्रहरत्नाकरहतिसंस्कारयंत्र ... जि.का २००९ वीसस्थानकस्तवन ............ वस्तो . ..१६३८ बूं.का. २२६ वृद्धचाणक्यनीति - आठमो अध्याय छं.का. २१४ बीसस्थानकपूजा विधि ........ जिनहर्षसूरि .१९१९ लों.का. ७२९ . | वृद्धिरत्नमाला .................. लों का ३३१ बीसविहरमानगीतसंग्रह ........ देवचंद्र पं. हूं.का. ६१६/२ वृध्धनवकार + अन्यस्तोत्र ...... ४०-५६ था.का ३६५ वीसविहरमानस्तवन ........... रंगविजय .... जि.ता.३४७/१ वृन्दावनकाव्य सटीक मू.क.मानांक, टी.क.........१२१५ .१-३१ त.का. १२८३ यीसस्थानकतपविधि............ शांतिसूरि पूर्णतल्लगच्छीय डूं.का. ३३१० वीशस्थानक पूजा ............ डूं.का. ८५१ वृन्दविनोद युक्तिधीर मुनि ...............१८३० जि.का ८०९/१ ०वीसविहरमानजिनगीत ........./जिनसागरसूरि ... त.का. ९७४ .वृषांकस्तवन .......... डूं.का. २२५ बीसस्थानक क्षमाश्रमण विधि जि.ता.३५८ वेणीसंहारनाटक ............... भट्ट नारायणकवि ..........१४०० जि.का १४४/३ ०वृंदावनमहाकाव्य ..... लों.का ७३० - बेतालपच्चीसी ........ डूं.का. ७३१० वृतरत्नाकरवृत्ति .............. समयसुंदर .............. .......२४||जि.का ३३५ - वेद्यकसारोद्धार सन्नि- ... जि.का २०८८ वृत्तज्योतिष ... महेश्वराचार्य पाताधिकार अपूर्ण जि.सा. ३१४/६ वृत्तरत्नाकर . भट्ट केदार ....१४०० ........१५| जि.का ३०७/१ ० बेलिपीराएली.... सिंहो जि.का १२५१ वृत्तरत्नाकर ...... ............................. २७||७.का. १३८५ वैद्यक ...................... • १३ १७६९ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

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