Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 523
________________ संवत् । पत्र ०.११२ ...३.२२ १८ सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १-४७५ भंडार ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कर्ता पत्र संवत् भंडार| पंचांक ग्रंथन नाम संख्या नाम कर्ता संख्या जि.का १०९७ संग्रहणीप्रकरण ..................श्रीचंद्रसूरि ...... .. १९||जि.का २१९५ संघपट्टकप्रकरण वृत्तिसह ..... जिनदत्तसूरि मू.. ....... जि.का २१६०/२३ संग्रहणीप्रकरण................... जिनपतिसूरि -टी. जि.का ३३१० संग्रहणीप्रकरण अपूर्ण ...........श्रीचंद्रसूरि ...... .. १० जि.का. २१९५ संघपट्टकप्रकरण वृत्तिसह ..... जिनदत्तसूरि मू.. जि.का १२८० ० संग्रहणीप्रकरण आदि ..... ............१५०० जिनपतिसूरि-टी. संक्षिप्तटिप्पणी जि.का १७१० संघपटकप्रकरण सटीक .... जिनवल्लभसूरि -मू.क.. ५२५ ० संग्रहणीप्रकरण बालावबोधसह --श्रीचंद्रसूरि मू.क. ............ वृ.क.जिनपतिसूरि २०३ ० संग्रहणीप्रकरण सटीक ...........मू.क.श्रीचन्द्र सूरि, ..........१४०० १३०-२५९| जि.का १५६० ० संघपट्टकप्रकरण सावचूरिक ...जिनवल्लभसूरि-मू.. वृ.क.देवभद्रसूरि अब.क.साधुकीर्तिगणि जि.का ६५० संग्रहणीप्रकरण सटीक ........ श्रीचंद्रसूरि-क.. ... संघमाळारोपण विधि ........ देवभद्रसूरि -टी. संघयणीसूत्र जि.का २०२ ० संग्रहणीप्रकरण सटीक अपूर्ण....श्रीचन्द्रसूरि -मू.. ......... संघाचारभाष्य .... वृ.क.देवभद्रसूरि संघाचारभाष्य (टीका) .... १७६ जि.का. १२४४ संग्रहणीप्रकरण सावरि त्रिपाठ श्रीचंद्ररारि................... १७६४ ....७ संघाचारटीका................... हरिभद्रसूरि .... .२४८ 5.का. १२५५ संग्रहणीसूत्र ..................... मलधारी हेमचंद्राचार्यसूरि .....१८८१........' १५१/१६ ० संजममंजरी................. | महेश्वरसूरि .......... .१४०० |... ९२-९७ लो.का ५९० (संग्रहणीसूत्र..................... | जि.ता. १९१/७ . संजममंजरीप्रकरण ..... ...१४००/...६६-६८ इं.का. ३३९ संग्रहणीसूत्र (श्री चंद्रीय)........ जि.का १३२६/३७० संजममंजरीप्रकरण ......... महेश्वरसूरि.... २६१-२६३ संग्रहणीसूत्र (श्री चन्द्रीय)अपूर्ण श्रीचन्द्रसूरि ............... आ.का २११ संजममञ्जरी संग्रहणीसूत्र...................... गुणसुंदर-ले..... जि.का ३५०/ ३० संजमसुंदरीगीत ... राजसमुद्र ... श्रीचन्द्रसूरि-र. जि.ता.१७१/९ ० संजमाख्यानक संग्रहणीसूत्र त्रूटक ............... मलधारि हेमचंद्रसूरि शिष्य .... १७८० जि.का १६२५/३ 0 संतिकरं .... मुनिसुंदरसूरि | संग्रहश्लोक.... जि.का १६९३/१०० संतिकरं ........ १७-१९ संघपट्टक ...................... जिनयल्लभसूरि .............१८८३ जि.का १९५१/४ | संथारगपयन्नो ....... १४-१९ संघपट्टक................. | जि.का २१६०/६ संथारापोरसी ...२१-२२ संघपट्टक सस्तबक ........... ....१७३५ जि.का १४२५/३ ० संथारापोरिसी. जि.का १५५९ संघपट्टकप्रकरण............... था.का. ३५२ संदेह दोलावली धर्मविजयगणि........... संघपटकप्रकरण वृत्तिसह ...... जिनदत्तसूरि-क., ........ले.१५६४ ........४८ जि.का ५१२० संदेहदोलावली लघुटीकासह ... जिनदत्तसूरि मू.क.. ..... १.१४९५ ...... ३५ |जिनपतिसूरि-टी. वृ.क.जयसागरोपाध्यायले.१५७४ ||जि.का १८०/७ ०|संदेहदोलावलीप्रकरण............ जिनदत्तसूरि ..................... ....... ११-१४ SEGREE SEEEEEEEEEE श्रीचन्द्र .......... प-२ Jain Education International www.jainelibrary.org. For Private & Personal Use Only

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