Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

View full book text
Previous | Next

Page 528
________________ भंडार ग्रंथांक ग्रंथन नाम संवत .....४२ ......अचमा गणधर.......... .......... जि.का १२ ४८० - सर्व ग्रंथों का अकारादिक्रम - परिशिष्ट । | ग्रंथर्नु नाम कर्ता पत्रा भंडार ग्रंथांक नाम संख्या इं.का. ७१५ | समवायांगसूत्र ....... आ.का.८३ डूं.का. ७१६ समयायोगसूत्र ....... जि.का/५५७ समयायांगसूत्र .................. हर्षविमल मुनि ................१८८९ जि.का.४२०/४४ समयायांगसूत्र ................ समवायांगसूत्र ........................... ४०|आ.का.५४/ समयायांगसूत्र ....................... | समवायागसूत्र ..................सुधर्मा गणधर .. ૧૪૦૮ समवायांगसूत्र अपूर्ण .............. समवायांगसूत्र मूल .............. सुधर्मास्वामी .... ...१६६५.....१-४९| डूं.का. समयायांगसूत्र मूल .............. सुधर्मास्वामी ...१८७३.....१-६६] समवायोगसूत्रवृत्ति ............... अभयदेवसूरि ............ ..११२०-३९(५२८- था.का ... ५६५)| त.का. ४७८ .ता. ० समवायांगसूत्रवृत्ति ...............अभयदेवाचार्य .......... . र.११२०/-.४६-१३४ .ले.१४८७ त.का.३४१ जि.ता.९/२ समवायांगसूत्रवृत्ति ............... अभयदेवाचार्य . र,११२०/-६५-२१५||त.का. ३४५ .ले.१४०१ डूं.का. ४७० जि.का ११ समवायांगसूत्र............... सुधर्मास्वामी ............ |.१७(५११-त.का.-९१६ ..५२७) त.का. १०२३/1 त.का. २९ • समयायांगसूत्र .................. सुधर्मा गणधर .... ....५१ जि.का ८३७ त.का. १५ |समाचारी पदस्थापन दीक्षा...... ....३० जि.का २१८८ त.का. ११५५ समाधितंत्र सह बालावबोध ....... १७२ त.का. ६१४ जि.का ८६३ समाधितंत्रबालायबोध............पर्वत धर्मार्थी ................१७०९ ... १५४ जि.का १६५९ जि.का ७४४/१ समाधितंत्रदुहा ................... यशोविजयोपाध्याय ..... त.का. ६१५ जि.का.१०२७ समाधिशतक बालावबोधसह ... सोमसेनसूरि ..... १४ | जि.का ९५२ अपूर्ण जि.का. १८७३ समाविचार (सुभिक्षदुर्मिक्षविचार)... | जि.का.४२०/४६ जि.का.२०४० समासयोगपटल. वररुचि.. जि.का, २९९ आ.का. १३९ समासविचार .................. ज्ञानसागर ....... डूं.का. ६९७ समाससारोद्वार..... समुद्रप्रकाशविद्याविलासचोपाई .... जिनभद्रसूरि | समुद्घातस्वरूप .. भैया.. सम्बोधसप्तति .... जयशेखरसूरि. सम्मतितर्क उत्तरार्ध ............. कमलविजय .... सम्मतितर्क पूर्वार्ध ...... सम्यकत्वकौमुदी कथा त्रूटक ... सम्यकत्वकौमुदीकथा ........... शिवलाल-ले.................१९०१ सम्यक्त्व + संभवमहाकाव्य ..... जयतिलकसूरि .. (सुलसाचरित्र) ० सम्यक्त्व ६७ बोलनी सज्झाय ...जसविजयगणि ................... सम्यक्त्व ६७ बोली सज्झाय.... जशविजय ... ...................१८९१/...... सहटल्यार्थ सम्यक्त्व अधिकार ............... रविविजय .................. १९११ सम्यक्त्व अधिकार सम्यक्त्व कौमुदी कथा ........... रत्नचंद्र ......... ... १८५७ सम्यक्त्व सडसठ बोल. .. १८४५ सम्यवत्वकुलक.. . सम्यक्त्वकौमुदी... सम्यक्त्यकौमुदी.. सम्यक्त्वकौमुदीकथा ....... ० सम्यक्त्वकौमुदीकथा गद्य ...... सम्यक्त्यकौमुदीकथानक... सम्यक्त्वपंचविंशतिका- सम्यक्वस्वरूपस्तवन सटीक पंचपाठ, सम्यक्त्वपच्चीसी............... भैया ............... १७५०....९३-९४ सम्यक्त्व रास......... सम्यक्त्वविचार............... ..... ....... १६२२ ..........३ Jain Education International For Private &Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665