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पंचम अध्याय / 119 "भुजो रुजोऽङ्कोऽम्बुजकोषकाय करं त्वमुष्याः कमलं विधाय । कन्दप्रकारो जगदेक दृश्य समुत्करः शेष इहास्तु यस्य ॥120
सुलोचना के वर्णन में महाकवि ने कहा है कि विधि के ज्ञाता विधाता ने सुन्दरी सुलोचना के दोनों हाथों का निर्माण उस निर्माण सामग्री से बचे हुए कूड़ा करकट से कीचड़ से कमलों का निर्माण हुआ । यहाँ पङ्कात् जायते इति पङ्कजम्,' पंक से उत्पन्न हुआ (कमल) यह व्युत्पत्ति कमल के सम्बन्ध में शेष कूड़ा करकट कीचड़ से निर्मित होने में हेतु है अतएव पद हेतु मूलक काव्यलिङ्ग अलङ्कार है । इसी प्रकार इसी सर्ग का निम्नश्लोक इससे अछूता नहीं -
"कुशेशयं वेद्मि निशासु मौनं दधानमेकं सुतरामघोनम् । मुखस्य यत्साम्यमवाप्तुमस्या विशुद्धदृष्टे कुरुते तपस्याम् ॥121
चारुनेत्री सुलोचना के मुख की समानता को प्राप्त करने के लिये कमल कुशे शय अर्थात् कुश आदि पर व्रती की भाँति मौनी बन जाता है तथा अनन्य (अद्वितीय) तपश्चर्या करता है। अतः यह सिद्ध है कि वह पाप से रिक्त है । कमल को कुशेशय कहते ही हैं। रात्रि में विकसित न होने के कारण मुख का संकुचित होना स्वाभाविक है । परन्तु कवि ने उस वाक्य को सुलोचना के मुख के साथ समता प्राप्त करने के लिये ही वह तपस्या कर रहा है एवं मौन धारण किये हुए है । यह वाक्य हेतु बन जाता है । अतः काव्यलिङ्गालङ्कार है। साथ ही 'वेद्रिम पद कमल में तपश्चर्या मौनता कुश (तृण) आदि विराजमानता उत्प्रेक्षालङ्कार को भी पुष्ट करता है।
अधोलिखित श्लोक में भी यह अलङ्कार रम्य है - "अधः स्थितायाः कमलेक्षणाया निरीक्षमाणो मृदुकेशपाशम् । भुजङ्ग भुङ् निर्जितवर्ह भारं द्रुतं द्रुमाग्रात्समदुद्रुवत्सः ॥122
यहाँ सुलोचना के विवाह के अवसर पर कोई स्त्री मार्ग जन्य थकावट को दूर करने के लिये किसी वृक्ष के नीचे आकर खड़ी हो गयी । उसके मयूर के पंख को जीतने वाले कोमल केशपाश को देखने वाला मयूर अपने पंख भार को पराजित समझकर शीघ्र ही उस वृक्ष पर से भग गया।
यहाँ पर मयूर के भागने में सुन्दरी के कोमल केशपाश को देखने का हेतु रूप में वर्णन किया गया है । अतएव यह वाक्य हेतुक काव्य-लिङ्ग अलङ्कार है। 24. अनुमान : इस महाकाव्य में अनुमान अलङ्कार भी यत्र-तत्र पूर्णरूप में सन्निविष्ट मिलता
है । जहाँ पर कवि प्रतिभोत्थापित चमत्कार से व्यापक साध्य का साधन के द्वारा सिद्धि दिखायी जाय वहाँ अनुमानालङ्कार होता है।23 । जयोदय महाकाव्य का प्रस्तुत उदाहरण इस अलङ्कार से परिपुष्ट है -