________________
222/जयोदय महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन रतिवेगाः
सुलोचना के चौथे पूर्व भव का नाम । रतिवर : ___ जय के तीसरे पूर्वभव का नाम जब वह कबूतर थे । पूर्वभव में सुलोचना रतिषेणा नामसे उनकी पत्नी थी। रतिषेणाः
सुलोचना का नाम जब वह तीसरे पूर्वभव में कुबेर कान्त सेठ के घर कबूतरी थी। हिरण्यवर्मा :
जयकुमार का नाम जब वह अपने दूसरे पूर्वभव में विद्याधर थे और सुलोचना प्रभावती नाम से उनकी पत्नी थी। प्रभावतीः
___ सुलोचना का नाम जब अपने दूसरे पूर्वभव में वह विद्याधरी थी । शिवंकर :
जयकुमार की पत्नी और अनन्तवीर्य की मां । इन्धिका :
जयकुमार के पुत्र अनन्तवीर्य की पत्नी ।
तपन:
राजा अर्ककीर्ति के ग्यारहवें पीढ़ी के राजा । इनके पिता का नाम तेजस्वी था तथा तपन के पुत्र का नाम प्रतापवान था । ये राजा क्रम से सूर्य वंश में उत्पन्न हुए तथा पुत्र पर राज्य सौंपकर मोक्ष को प्राप्त हुए। दुर्मर्षण (दुर्मति): ____ दुर्मर्षण राजकुमार अर्ककीर्ति का सेवक था । जयकुमार के वैभव को सहन न कर सकने के फलस्वरूप उसने सब राजाओं को उत्तेजित करने के उद्देश्य ने अकम्पन की निन्दा की ओर कहा कि षडयन्त्र के रूप में ही अकम्पन ने जयकुमार के गले में अपनी पुत्री सुलोचना से माला डलवायी है । उसने अर्ककीर्ति को अनेक प्रकार से उत्तेजित किया तथा अकम्पन को युद्ध में पराजित करने की अनुमति माँगी । और इस प्रकार यही अर्ककीर्ति तथा जयकुमार के बीच युद्ध का कारण बना । सोमयश :
ऋषभदेव के बाहुबली और सोमयश नामक पुत्र हुए। वही सोमयश सोमवंश (चन्द्रवंश) का कर्ता हआ ।