________________
122 / जयोदय महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन
जाता है । वैसे ही इस अलङ्कार में कार्य के प्रति कारण ही एक काल में पहुँचते हैं। एक काल में दो गुण या दो क्रिया बतायी जाय अथवा एक गुण और एक क्रिया एक काल में बतायी जाँय तो वहाँ भी समुच्चयालङ्कार होता है। इन चारों प्रकार के समुच्चयालङ्कार में कहीं सुन्दर वस्तुओं का योग कहीं असुन्दर वस्तुओं का योग और कहीं सुन्दरासुन्दर दोनों का योग रहता है । इस प्रकार यह अलङ्कार बारह प्रकार का निष्पन्न होता है । जयोदय महाकाव्य में यह अलङ्कार अत्यल्प है, किन्तु जो प्राप्त है, वह हृदयाह्लादक
है -
“स्यन्दनैस्तु यदकृष्यतात्र भूर्वाजिराजशफटङ्कणाऽप्यभूत् । दानवारिभिरपूर्यतासक्रन् मत्तहस्तिभिरमुष्य हे ऽर्थकृत || ' 134
यहाँ वर्णन किया गया है कि जो भूमि जयकुमार के रथों से खोदी गयी वहीं घोड़ों की खुरों से छिन्नी की तरह फोड़ दी गयी, तथा मदश्रावी हाथियों के द्वारा भर दी गयी ।
इस प्रकार जयकुमार के पुण्य प्रभाव से खेती का कार्य अनायास ही स्वतः पूर्ण हो गया । कृषि कार्य के लिये अनेक कारणों की जैसे जोतना, ढेलों को फोड़ना और पानी से सींचना ये तीनों अपेक्षित होते हैं। इन तीनों कारणों की जयकुमार के पुण्य प्रभाव से अनायास ही शुद्ध बताया गया है । अतः समुच्चयालङ्कार दिव्य है । इसी प्रकार बहुश: श्लोक प्रकृत अलङ्कार के लिये महाकाव्य में भरे हुए हैं 1
29. प्रतीपालङ्कारः जहाँ प्रसिद्ध उपमान को उपमेय कर दिया जाय अथवा उपमान को व्यर्थ बताया जाय या उसका तिरस्कार किया जाय वहाँ प्रतीपालङ्कार होता है 135 । निम्नलिखित श्लोक में प्रतीप का चयन अनूठा है I
1
'इहाङ्गसभ्भावितसौष्ठवस्य श्रीवामरूपस्य वपुश्च यस्य । अनङ्गतामेव गता समस्तु तनुः स्मरस्यापि हि पश्यतस्तु ||"
11136
इसमें जयकुमार के शरीर का वर्णन किया गया है कि इस संसार में उसके शरीर में अद्भुत सौन्दर्य रहा जिसको देखने मात्र से ही कामदेव का शरीर अनङ्गत्व को प्राप्त हो गया अर्थात् महादेव के समाने कामदेव अनङ्ग बना है । फिर भी जयकुमार के लोकोत्तर सौन्दर्य सम्मुख वह विकृत रूप हो गया ।
यहाँ कामदेव उपमान और जयकुमार उपमेय रूप में न दिखाकर उपमान को ही तिरस्कृत कर दिया गया । अतः प्रतीपालङ्कार सुस्पष्ट है ।
30. तद्गुण : जहाँ अपने गुण को त्यागकर दूसरे के गुण को ग्रहण किया जाय वहाँ तद्गुण अलङ्कार होता है 37 । तद्गुण अलङ्कार भी सुलोचना के वर्णन प्रसङ्ग में रम्य रूप में निरूपित है