Book Title: Jainagamo me Syadvada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana
View full book text
________________
दचटया जहन्नमति जहन्नमाला चहाणवाहिए पिएमट्टयाए तल पुढविकायम
श्री प्रज्ञापगोपाङ्ग पञ्चमं पर्यायपदम् १६७ यव्वा । जहन्नमतिअन्नाणीणं भते ! पुढविकाडय ण पुच्छा गोयमा । अणता पञ्जया पन्नत्ता, से केपटटेण भते । एव वुच्चइ जहन्नमतिअन्नाणीण पुढविकाइकाणं अणंता पज्जया पनत्ता १, गोयमा ! जहन्नमतिअन्नाणी पुढविकाइए जहन्नमतिअन्नाणिस्स पुढविकायस्म दव्वटठयाए तुल्ले पाएमट्टयाए तुल्ले श्रागाहण हयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाण वडिए नन्नगधरसफास पज्जवेहि छटाणवडिय मडअन्नाणपज्जवेहि तुन्ले सुयअन्नाणपज्जवेहि अचखदसणपजवेहि छहाणवडिए, एव उक्कोसमडअन्नाणीवि, अजहन्नमणुकोसमइअन्नोणीवि एव चेव, नवर सट्टाणे छाणवडिए, एव सुयअन्नाणीवि अचक्खदसणीवि एव चेव जार
वणप्फइकाइया । ।सूत्र ११३) । मूलम्-जहन्नोगाहणगाणं मत । वेइंदियाणं पुच्छ। गोयमा !
अणता पज्जवा पन्नता, से केपटठेण भते । एवं बुच्चड जहन्नागाणगाणं वेइदियाण अणता पज्जवा पन्नता ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणाए वेइदिए जहन्नोगाहर सप वेइंदियस्म दबयाए तुल्ले पएमटठयाए तुल्ले योगाहण्टठयाए तुलं टिडए तिहाण वडिए वनगंधग्मफाम पज्जवेहिं दोहिं नाणेटिं दोहिं अन्ना
नोगाहर मामा ! जहन्नोगाहणाणता पज्जया

Page Navigation
1 ... 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289