Book Title: Jainagamo me Syadvada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana

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Page 248
________________ २२२ जैनागमों मे स्याद्वाद पुच्छा. गोयमा ! जहा जहनोगाहणए दुपए सिए तहा जहन्नो गाहाए चउप्पएसिए एवं जहा उक्कोसोगाहए दुपसिए तहा उकोसोगोहणए चउप्पएसिएवि एवं जहन्नमणुक्को सो गाहणएत्रि चउप्पएसिए, वरं गाहट्ठाए सिय हीणे सिय तुल्ले सियमम्भहिए जड़ हीणे पएसहीणे अह अभ हिए पएस अन्भहिए एवं जाव दसपएसिए णेयव्यं, वरं जहन्नमरणुक्को सोगाहणए पएसपरिवुडढी कायन्वा जोव दगपएसियस्स सच परसा परिवडिढ़ज्जति, जहन्नो गाहणगाणं भंते! संखिज्जपए पए सियाणं पुच्छा, गोयमा । ग्रता पज्जवा पन्नता, से कंटणं भंते । एवं बुच्चइ १. गोयमा ! जहन्नोग्रहणए संखेज्जपए सिए जहन्नीगाहणगस्स संखिज्जपए मियस्सं दव्वट्ट्याए तुल्ले पएमटठयाए विडिए श्रोगाहट्टयाए तुल्ले टिईए चउट्ठाण - चडिए वरणाइचउफासपज्जवेहि य छट्टा वडिए एव उक्को सो गाहणए वि, जहन्नमणुकको सो गोहणएवि एवं चैव वरं सट्टा बुट्टा बडिए, जहन्नो गाहगाणं ते! असंखिज्जपए सियाण पुच्छा, गोयमा ! श्राता पज्जवा पन्नत्ता, से केाणं मते ! एवं . •

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