Book Title: Jainagamo me Syadvada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana

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Page 267
________________ अथ परिशिष्टो भागः॥ । मन-सिद्धिः स्याद वादात !! ११०॥ __ ग्यारव्ययरान्तमानप, नन स्याहादोऽनगन्नवाट यानित्या पचनशक्लरववार समम इति न्यायव मन मिद्धिनपानामा प्रारजानां प्रदाना पेपिता, दाद हन्द झापतिविधवाऽनेर कारसमनिरात नामानाधिकार विपरा विशेयभावाट पा. म्यादवाटमन्न गनापपान्ने, मपापंदायर शदानुगामनार मपामगरमादाममायापति मागीय । न.पोलानुर:-योमर राय . या मरमात भवादा निदानपान पनि र ५. पता मया ।। १ नया-नयानमार पा मिपावसा या नरपदी मात माRite" || दादा , ! in " in 2 महा मार. R. द

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