Book Title: Jainagamo me Syadvada
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana
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पन्ना
श्री प्रज्ञापनोपान पञ्चम पर्यायपदन
ज्जर एसियम्स दव्चटट्याए तुल्ले पाण्स्टटयाग दुडाणवडिए श्रोगाहटट्याए दुाणवडिए टिईए उडिएवरणादीहिं छाडिए सीयकासपज्जवेहि तुल्लं उमिशानिज्लव खेहि छटाचहिए एवं उक्कोनमीतेवि, जहन्नम को गणतीच एव चैव, नवर सहाणे छट्टाटिए, जनगणकी या श्रमं विज्जपए मियाण पुच्छा गोयमा ना पज्जवा पन्नत्ता से कंटटे भते । गोमा ! जन्गुणमति श्रमविएमए जहन्न गुणी श्रमविज्जपण मिचम्म दव्वध्याए तुल्ल एनियाए चट्टावडर हटाए चहाएव चट", चटिए टिईए चउट्टारावटिए चएगाट पज्जदेहिं छहारि नीयफानपज्जचे तुलं उनिपद्रि लक्खफागपज्जवहिं छटावडिए एवं उपकार सीव. जहन्नमवगुणतिथि एवं चैव न वर सहारा छट्टाएपटिए जहन्नगासीनान पनियानं पृच्छा. गोवमा ' पन्ना से गटटे भने ' एव युगमा : जमीन
चन्ना !
पनवा
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